मैंने आहुति बनकर देखा,यह प्रेम यज्ञ की ज्वाला है। -अज्ञेय - अफ़िफा अंबरी
मैंने आहुति बनकर देखा,यह प्रेम यज्ञ की ज्वाला है। -अज्ञेय
- अफ़िफा अंबरी