तुम पर कविता लिखना असंभव है।
(अनुशीर्षक पढ़ें)-
तुम भी कभी पढ़ लेना
अपने बारे में क्या कहूं
तुम कविताओं से समझ लेन... read more
प्रेम,
मधुकर का मीठा मकरंद
चुराना
प्रेम,
चकोर का चांदनी को
एकटक निहारना
प्रेम,
और कुछ नहीं
है भाई का बहन को
काले टिके से सजाना।
-
भूख से रोता
बिलबिलाता बच्चा
ले जाता हाथ मां की
आंचल की ओर,बार-बार
प्रयास करता हटाने की
अपने नन्हे हाथों से
झिड़क कर हाथ उसका
वह समेट लेती आंचल
लगा देती होठों से
पानी भरे दूध का बोतल
आह! कौन समझाए अभागे को
ममता और मजदूरी में से
मां को अभी मजदूरी करनी है-
अरमान है
देखनी है एक सुबह,कनेर सी
पीले रंग की पाजेब पहने
उतरी हो धीरे-धीरे नभ से
नाम,जाति,धर्म से परे
डाले एक सी किरण
सब की खिड़की पर
देखनी है
अरमान है
एक सुबह कनेर सी।-
waqt aur me dono khamosh the,
Sayed isiliye ki wo juth bol thak chuka
tha aur mujhe aab kuch bolna nahi tha....-
'वर्षा को' ताकते हुए झरोखे से
सोचती हूं ' भीतर मन के
भी तो होती है वर्षा ' !
जब चीर कर हृदय को
न निकल पाए वेदना ।
न बह पाएँ अश्रु की बूंदे ।
जब सोख ले पीड़ा
सभी रस शरीर का ।
पड़ जाएँ होंठ पीले ।
तब मिलकर,
वे सब बुनते हैं इक बादल ।
और भीतर !
वर्षा होती ही होती है ।-