Advocate Zeeshan   (जीशान इक़बाल)
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Joined 27 November 2019


Joined 27 November 2019
21 SEP 2023 AT 22:03

देखने के लिए सारा आलम भी कम,
चाहने के लिए एक चेहरा बहुत..

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21 SEP 2023 AT 21:51

आईने में पहले एक चेहरा हुआ करता था कभी मैं,
यह मुझे क्या हो गया है, क्या हुआ करता था मैं।
प्यास की सूरत खड़ा हु आज सबके सामने।
कौन मानेगा कभी दरिया हुआ करता था मैं।

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19 SEP 2023 AT 9:41

मत कर इतना गुरुर अपने आप पर ऐ इंसान...
ना जाने खुदा ने कितने तेरे जैसे बना बना के मिटा दिये..

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19 SEP 2023 AT 9:14

दिखावे की मुहब्बत से बेहतर है नफरत ही करो हम से..
हम सच्चे जज़्बों की बड़ी क़द्र कियां करते है..

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19 SEP 2023 AT 9:09

निकले हम दुनिया की भीड़ में तो पता चला,
के हर वो शख्श अकेला है जिसने मुहब्बत की है।

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18 SEP 2023 AT 9:40

किसी तरह से भी कमज़ोर क्यों बनाऊं उसे,
मैं अपनी बेटी को कभी बेटा नही पुकारूँगा..

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18 SEP 2023 AT 9:23

अपनी तारीफ भी मयार घटा देती है,
ऐसे हो जाओ के, तुम क्या हो, बताना न पड़े..

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17 SEP 2023 AT 18:44

ना खुशी खरीद पाता हु ना गम बेच पाता हु, फिर भी ना जाने रोज़ क्या कमाने जाता हु।

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17 SEP 2023 AT 18:34

ना खुशी खरीद पाता हु ना गम बेच पाता हु, फिर भी ना जाने रोज़ क्या कमाने जाता हु।

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17 SEP 2023 AT 18:32

ना खुशी खरीद पाता हु ना गम बेच पाता हु, फिर भी ना जाने रोज़ क्या कमाने जाता हु।

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