देखने के लिए सारा आलम भी कम,
चाहने के लिए एक चेहरा बहुत..-
आईने में पहले एक चेहरा हुआ करता था कभी मैं,
यह मुझे क्या हो गया है, क्या हुआ करता था मैं।
प्यास की सूरत खड़ा हु आज सबके सामने।
कौन मानेगा कभी दरिया हुआ करता था मैं।-
मत कर इतना गुरुर अपने आप पर ऐ इंसान...
ना जाने खुदा ने कितने तेरे जैसे बना बना के मिटा दिये..-
दिखावे की मुहब्बत से बेहतर है नफरत ही करो हम से..
हम सच्चे जज़्बों की बड़ी क़द्र कियां करते है..
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निकले हम दुनिया की भीड़ में तो पता चला,
के हर वो शख्श अकेला है जिसने मुहब्बत की है।-
किसी तरह से भी कमज़ोर क्यों बनाऊं उसे,
मैं अपनी बेटी को कभी बेटा नही पुकारूँगा..-
अपनी तारीफ भी मयार घटा देती है,
ऐसे हो जाओ के, तुम क्या हो, बताना न पड़े..-
ना खुशी खरीद पाता हु ना गम बेच पाता हु, फिर भी ना जाने रोज़ क्या कमाने जाता हु।
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ना खुशी खरीद पाता हु ना गम बेच पाता हु, फिर भी ना जाने रोज़ क्या कमाने जाता हु।
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ना खुशी खरीद पाता हु ना गम बेच पाता हु, फिर भी ना जाने रोज़ क्या कमाने जाता हु।
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