❦Advik Ahuja☙   (Bekhabar)
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Joined 1 September 2020


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18 MAR AT 3:15

क्या नही रहेगा कोई तब तक
क्या इंतजार ही है मयस्सर मुझे

सुबह भी होगी की नही कभी
कितनी रातों का है ये असर मुझे

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17 FEB AT 21:22

खेलन खातिर सखा सुमंगल
देखे ओरी बाट
कब हूं आवे गिरधर मोरे
यमुना जी रे घाट
मात जसोदा आवन देवे
की रख ले अपने पास
जे सोच श्रीदामा
सुमंगल हो गए उदास
आवन लागो देख कन्हैया
लिए कमरिया बंध
मोटी आंखें हाथ बांसुरिया
पहन के बाजू बंद
घुंघराली अलकें चहुं बिखेरे
श्री चंदनमय सुगंध
हरी पीताम्बर पकड़े उंगली
बल भैया के संग

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15 FEB AT 12:47

नयनन सूरमा अति कजरारे
मधुरम कोपाल हरी नंद कुमारे
पग पानी छप छप छलकावे
मिट्टी खाए ब्रह्मांड दिखावे

बाल गवाल विपदा अति भारी
प्रीतम पिए पयोधार पूतना मारी
विष विषय दूर करन के खातिर
कालिंदी कूदो कदम्ब की डारी

तुतली वाणी मंद मंद मुस्कनिया
माखन खातिर बन गयो नचनिया
राधा संग ब्याह दे री ओ मैया
अश्रु नयन लिए रूठो री कन्हैया

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20 JAN AT 21:39

क्या फिर वही बदनाम रहूंगा मैं
कब तक तिरे इल्जाम सहूंगा मैं

यहां कोई इलाज ए दर्द भी नहीं
आंख से नही तो लहू से बहूंगा मैं

गर हो मुहोब्बत तो बतला देना
आखिर कब तक जिंदा रहूंगा मैं

ये दफ़न कर दिया तेरी याद ने
अभी तो कुछ दिन और रहूंगा मैं

तुम इंतजार करना ऐ मेरी मौत
तुझे सब से आखिर में मिलूंगा मैं

कब तक फरेबी में रखूंगा खुद को
कब तक दर्द को मुहोब्बत कहूंगा मैं

तुम्हे तो क्या खौफ ए मौत बेखबर
तुम से तो आखिर मिलता रहूंगा मैं

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9 JAN AT 21:10

उस जितना तो कोई कमाल नहीं
उस से बुरा भी तो मेरा हाल नहीं

मैं उस से सब कुछ हार गया
सब खो देना का भी मलाल नहीं

उस साल भी मुहोब्बत नहीं हुई
और ये साल भी कोई साल नहीं

सर्दी ने सब कुछ तबाह किया
और ओढ़ने को भी शाल नहीं

एक शख़्स मुहोब्बत निभाता है
वो सख्श जो मेरी ढाल नहीं

कमबख्त बदन तो पूरा छलनी है
और रूह बांधने को जाल नहीं

सब जवाब तो जुबां पर तैयार है
पर पूछने को कुछ सवाल नहीं

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27 DEC 2023 AT 12:10

वो जो इश्क करते थे किताबों में रखते थे
पुराने खत जो थे हम गुलाबों में रखते थे

तुम से कितनी दफा मिले और हाथ थामा
तेरे हर चुम्बन को हम हिसाबों में रखते थे

शब भर के तुझे सोचा विचार करते थे
तेरी तस्वीर को हम मेहताबों में रखते थे

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17 DEC 2023 AT 12:01

मैं कौन शख्स हूं खुद ही में मरता हूं
खुद ही से मोज है खुद ही से डरता हूं

रोता हूं पटकता हूं फांसी भी लटकता हूं
खुद को बचाने को मैं क्या क्या करता हूं

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12 DEC 2023 AT 11:43

ज़िंदगी ना रही फिर कोई मातम ना रहा
कौन कहे मरने के बाद कोई गम ना रहा

कोई हाल तो जाने अधूरी ख्वाहिशों का
जहां तुम में तुम ना रहे हम में हम ना रहा

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11 DEC 2023 AT 15:42

खंजर से चोंट क्या लगेगी मुझे
अब ज़हर ही दवा लगेगी मुझे

कितनों के दिल तोड़े हैं मैने
सबकी बददुआ लगेगी मुझे

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10 DEC 2023 AT 12:15

मुझे कोई वादा वफा नही होता
क्यूं दिल तुझ से जुदा नहीं होता

किस शहर में जा रहने लगे तुम
बता मेरे शहर में क्या नही होता

जब जब तुम रहते हो मेरे साथ
दिल फिर कभी तन्हा नहीं होता

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