Adv Vivek Chourasiya   (Vivek)
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Joined 9 June 2020


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Joined 9 June 2020
1 JUN 2023 AT 0:15

मुझे परखना हो तो मेरे पास चले आना,
यहाँ वहाँ की खबरें.. तुम्हें गुमराह कर देंगी

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1 JUN 2023 AT 0:08

कुछ कहानियां अधूरी ही रहें ..... तो बेहतर

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17 NOV 2022 AT 6:10

इंतजार की सीढ़ियां,
उम्मीद की मिट्टी और आंखों के पानी
से बनी होती हैं

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6 AUG 2022 AT 23:27

अपने अहम की चिता में रिश्ते जलाते हैं लोग ,
जीत तो जाते हैं अपनों से , पर अकेले रह जाते हैं लोग....

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9 MAY 2022 AT 21:04

सिर्फ शब्दों से ना तौलना हमें...
उतना कह नहीं पाते जितना ज़ेहन में होता है..

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1 MAR 2022 AT 2:38

यद्यपि
जुड़ा सभी से हूँ,
तथापि
डूबा तुझ ही में हूँ..— % &

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14 SEP 2021 AT 11:24

सरल है, सुबोध है, सुंदर अभिव्यक्ति है,
हिंदी ही हमारी सभ्यता, हिंदी ही हमारी संस्कृति है..

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27 AUG 2021 AT 23:07

सोच रहा हूँ , इक रोज निकाल फेंकूं मन में
छिपी हुई इन निराशाओं को....
" ख्वाब " में सही कुछ नवीन आशाओं ने
जिंदगी में आने की दस्तक तो दी है..

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24 AUG 2021 AT 17:10

वास्तव में कोई इतना व्यस्त नही है,
यह सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है
कि आप उसकी प्राथमिकता सूची (priority list)
में किस नंबर पर हैं

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24 AUG 2021 AT 0:36

बदलते लोग, बदलते रिश्ते औऱ बदलता मौसम भले ही दिखाई न दे, मगर महसूस जरूर होता है

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