जूझ रहा हूं जीवन के महाभारत में,
तुम सारथी बन संभाल लो रथ मेरी दुनियां का...।।-
उलझीं हुई जिंदगी और थके हुए से हम...
थोड़ी सी तुमसे गुफ्तगू और सारे मसलें खत्म..।।-
पुराना भरोसा टूटते ही हम नया भरोसा कर बैठते है,
साथ की तलाश में हम खुद को बस आहत ही करते है,
बंधन न टूट जाए इसीलिए हर रिश्ते का नाम हम गढ़ते है,
नासमझी में हम अपने खालीपन को लोगों से भरते है....
लोग तो फिर भी लोग ही रहते है..
वो कहाँ अपनों में बदलते है
वक्त, भाव, आत्मा...
तक जितना भी हो बस दे दिया करते है,
इस गलतफहमी में कि
ये जहां वाले उतनी ही शिद्दत से सब वापस भी करते है..।-
किसी के बिना उदास हो तो अच्छा है,
किसी के साथ रह कर भी उदास हो तो मसला है...!!-
तुम भेज देना कभी,
सर्दियों के मध्य अपनी कोई खुद की लिखी हुई पंक्ति,
हमारी कोई गुजरी कहानियां,
दिल को छू लेने वाले किस्से,
या फिर यूं करना कि...
भेजना एक कोरे पन्नों की डायरी,
पहले पृष्ठ पर,
तुम्हारे चुम्बन के हस्ताक्षर,
ताकि उनको छू कर,
मैं लिख दूं उसमें अपनी प्रेम कविताएं,
मगर तुम कहां सुनते हो,
जिद्दी हो,
तुम तो मुझे अपने पास चाहते हो,
खुद को मुझे सौंपे बिना...।।-
ए जिंदगी मुझे अपने, तौर तरीके सिखा दे,
ना ज्यादा ना कम, बस जरुरत भर बता दे....
ना पीछे देखने का वक्त हो, ना आगे बढ़ने की आरजू
ये दुनिया जैसे चलती है, रहना बीच इनके सिखा दे.....
किसी को नाइंसाफी करने भर से शर्म न आए,
पर मुझे तो बस उस नाइंसाफी का विरोध करना ही सिखा दे....
किसी के होने ना होने का, मुझे एहसास ना हो
बाकी जो तू चाहे, अपने हिसाब से चला दे.....
लोगों से पहले सोचना खुद के लिए शुरु करूं
मुझे कुछ ऐसा पत्थर दिल बना दे.....
अपनो की कही बात, जो दिल में लगे कभी
ऐसी बातों को भूलने की तरकीब सिखा दे.....
चाह कर भी किसी का मुझ पर बस ना चले
ऐ जिंदगी तू मुझे बस, अपनी तरह बना ले.....!
#मेरीकलम-
बिन-तेरे,
मेरी सारी खुशियाँ अधूरी है..
अब तू ही सोच..
तू मेरे लिए कितना जरुरी हैं।-
जानता हूं चक्रव्यूह बिछाया जा चुका है,
हर बार अभिमन्यु हार जाए वो समय जा चुका है...।।-
कुछ पुरुष होते हैं जो अपने ह्रदय में बसी स्त्री के
प्रति अपने प्रेम को व्यक्त नही कर पाते,
पर वे प्रेम में उसके हर अंग,
हर भाव पर एक किताब लिख सकते हैं,
कविताएं लिख सकते हैं, व्याख्या कर सकते हैं
उसकी हर एक अदाओं पर,
पर नही व्यक्त कर पाते तो उस स्त्री के प्रति अपना अथाह प्रेम.....।।-
हम टूटे हुए लोग हैं साहब..
जिंदगी को अपने हौसलों से जीते हैं,
मुट्ठी में बंद रखते हैं अपना सारा साहस..
दर्द को सीने में पालते हैं,
रो देते हैं हर बात पे मगर..
एक मुस्कान होंठों पर रखते हैं,
खौफ किसी चीज का भी नहीं हमको..
परेशानियों को अपनी जूते की नोक पर रखते हैं..।।-