ना झुकने का हुनर
ना झुकाने की है ख्वाहिश
मेरा दुश्मन भी मैं, दोस्त भी मैं
मेरे खुद से है, मेरी आजमाइश-
थोड़े से दूर हैं तुझसे
थोड़े तेरे पास हैं
ना रंग की ना रूप कि
बस तेरी म... read more
अल्फ़ाज़ डूबाकर निकाले जो हमने, "ग़मो" की स्याही से
हर एक अल्फ़ाज़ हमें "ख़फ़ा- ख़फ़ा" सा नज़र आया
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सुकून की है तलाशा,
ये भेड़ चाल और नहीं
दौड़े जा राहा हूं बस "ज़िंदगी"
मेरा कोई ठिकाना कोई छोर नहीं
बोल देता हूं अपना दुश्मन "हज़ारों" को
मगर मेरा "गुनहगार" मेरे सिवा कोई और नहीं।-
प्यार है, या समझौता है
तेरा मेरा रिश्ता भी, अनोखा है
यूं तो, तू दूर भी नहीं है मुझसे
मगर तेरा पास होना, भी एक धोका है
डरते हो बिछड़ने से, और साथ भी मंज़ूर नहीं
हो जाओ आज़ाद, मेरी मोहब्बत से, मौका है
सह लेना कुछ रोज़, अगर कोई कुछ बोले तो
ये दुनियां है,इसको भला किसने रोका है।।-
हां है तो अजीब...........
"ज़िन्दगी" अजीब ही उम्दा रहती है।
ये वो नदी है जो हर मोड़ से बहती है।-
मेरे सब खोए हैं अपनी अपनी दुनिया में कहीं
तू दूर होकर भी मुझमें खोया है।
सब रोए हैं मेरी खुशी में भी अक़्सर
मेरे दुख में भी मुझसे लिपटकर तू रोया है।
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उन्हीं के लिए है सब कुछ
और वो ही हमसे खफा हैं
पहली बार नहीं है,ये सब
हुआ कई दफा है-
उनकी यादों में बरसातें भी आयीं हैं अक़्सर
आज आँखे सूखी हैं मग़र यादें कम नहीं।।-