तू जान के भी कई बातें नहीं जान पाता है,,
ए चांद मेरी खामोशी को कोई समझ नही पाता है,,
-
मगर खुद को याद रखने की आदत है मुझे।।
रेत के महलों जैसे सपने संजोए थे,
जरा सा हवा का झोंका आया और रेत बिखर गए,,
-
यूं ही नही हमें बनारस की तंग गलियों से लगाव है,
कोई मिला था हमसे बरसो पहले इसी जगह,,
कुछ यादगार पल है हमारे जो हमने साथ बिताए ,
कुछ खट्टी कुछ मीठी बात लिए हमने मन में सपने सजाए,,
उसका तो पता नही मगर मेरे लिए वो रात और वो साथ दोनो ही अजीज हैं,
शायद इसीलिए आज भी ये गलियां मेरे लिए मुझ से करीब हैं,,
शायद फिर कभी वो वक्त आए जब वो और मैं साथ हो,
फिर ये बनारस की गलियां और घाट और फिर से वो एक एहसास हो।-
सुनो!!
तुम वक्त-बेवक्त की बातें न किया करो,,
तुम्हारे साथ बिताया हर पल जायज़ है,,
-
छोड़ दिया मुस्कुराना उसकी बातों पे,
लोग हमारे इश्क को पहचानने लगे थे,,
-
हर दुआओं में मैने जिसके लिए खुशियां मांगी हैं,
वो खुश है मुझसे दूर रहकर,,
तो मैं खुश क्यों ना होऊं!!?
-
की कैसे कहूं लौट आओ,
अब मन नहीं लगता तुम्हारे बिना,,
आखिर तुम्हें अधिकार देने का फैसला भी तो मेरा था,,
-