यूं ही नही हमें बनारस की तंग गलियों से लगाव है, कोई मिला था हमसे बरसो पहले इसी जगह,, कुछ यादगार पल है हमारे जो हमने साथ बिताए , कुछ खट्टी कुछ मीठी बात लिए हमने मन में सपने सजाए,, उसका तो पता नही मगर मेरे लिए वो रात और वो साथ दोनो ही अजीज हैं, शायद इसीलिए आज भी ये गलियां मेरे लिए मुझ से करीब हैं,, शायद फिर कभी वो वक्त आए जब वो और मैं साथ हो, फिर ये बनारस की गलियां और घाट और फिर से वो एक एहसास हो।