aditya vardhan singh   (A.D.BANNA)
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Joined 7 June 2017


Joined 7 June 2017
13 JAN AT 8:35

न जाने क्यों लोग रिश्ते गिनाते हैं, पर निभाना भूल जाते हैं
वफा गैरों से कर, अपनों से निभाना भूल जाते हैं।
जमाने में यह दस्तूर है कि लोगों को दूसरों की हर एक चीज अच्छी लगती है,
पर अपने घर के बागान में पानी डालना भूल जाते हैं।

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12 AUG 2024 AT 22:03

कहते हैं,वक़्त आने पर सब ठीक हो जाता है
पर वो वक़्त सही वक़्त पर आए तो ज्यादा ठीक होता है

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26 AUG 2023 AT 9:20

दुनिया में रुसवाईयां बहुत है, लोगो के ताने बहुत है
दिल और दिमाग को तसल्ली देने वाले,
मोटिवेशनल स्पीकर बहुत है ।
लेकिन पिता जब आपके साथ खड़ा हो और बोले की
" टेंशन नही लेनी मैं हुना " ये शब्द अपने आप में बोहत है||

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21 MAY 2023 AT 8:29

सुबह की शुरुआत - चाय
किताबो के पन्नो में नींद की जपकियो पर - चाय
यारो की महफिल में याराना को निभाती - चाय
सुख की घडी में जशन मनाती - चाय
दुःख की घडी में जनून जगाती - चाय
अकेलेपन की चुप्पी को तोड़ने के लिए - चाय
पूरे दिन की मजदूरी के बाद , चुलबुलाती श्याम के साथ - चाय
रात को बड़े सपनो को जिंदा रखने के लिए - चाय

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10 MAY 2023 AT 8:26

हँसी के पीछे कुछ सिसकियां है
पर वो किसी ने सुनी नही ।
हर मुलाकात के पीछे , अकेलापन है
पर वो किसी को दिखा नही ।
आंसू आंखो से बहार आना चाहते है
पर नियति को ये मंजूर नही ।

में अगले जन्म बादल बनुगा..

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25 DEC 2022 AT 8:08

तुम मुस्कुराते क्यों नही हो ??

मुझे बेमतलब झूठे मुखौटे पहनने की आदत नहीं है।
मै जैसा हुं अपने आप को बया कर देता हूँ
और ये ही बात दुनियावालो को अच्छी नहीं लगती।

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25 DEC 2022 AT 7:38

खामोश है जिन्दगी खामोशी में जी रहा हुं
ओर खामोशी के अन्दाज मे बहुत कुछ कह रहा हुं
जो समझ गया वो हमारी बातो की दाद दे रहा और
और जो न समझा वो आज भी अपना जवाब मांग रहा है।

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25 DEC 2022 AT 0:14

उठा हूं अपने ही सपनो को तोडकर , अपने आप से मुँह मोडकर
ढूंढ रहा हूँ किसी कंधे को, बात करने के लिए किसी अपने को
मुझे कुछ कहना है-मुझे बस रोना है।

मैं अपने आप से बहुत कुछ कह चुका
उम्मीद के सहारे बहुत कुछ सह चुका
अन्दर जो गुब्बार बन के बैठा है,
उसे कुछ कहना है - मुझे बस रोना है|

में देख चुका इन लोगो को
में देख चुका इस समाज को
में देख चुका इन अपनो को
मुझे इन से ना कुछ कहना है - मुझे बस रोना है।

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17 OCT 2022 AT 23:32

मैं कलम उठाता हूं तो अपने आप को लिखता हूं
सर सराते पन्नों पर अपने ख्वाब को लिखता हूं
चुप सी हे मेरी जिंदगी
इसलिए शोर मचाते शब्दों को , अपनी कहानी के किरदार में लिखता हूं||

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15 OCT 2022 AT 14:54

कमियां लाख छुपाए जमाने से तेरी
पर काबिलियत को भी तराशा है।
जो बिन आवाज, बिन आंसू के रोया
लेकिन तेरे कल बनाने के लिए आज जो टूटा है।
जिसे तू ना आज जानता है ,और न कल जान पाएगा
वो शख्स तेरा पिता है ...

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