Aditya Soni   (Aditya soni)
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CHEMIST
Joined 10 May 2019


CHEMIST
Joined 10 May 2019
11 FEB 2023 AT 17:02

समझ लो, कि हम तुम्हारे हो गए
प्यारी सी दुनिया में हम तुम्हारे खो गए

कह रहे, कि बेशक तुम याद हो हमको
ख्वाबों के बिस्तर हम तुम्हारे सो गए
नहीं, बाकी रहा हमारा हम में अब कुछ
जब से आँखे तुम्हारे हमारे लिए रो गए

समझ लो, कि हम तुम्हारे हो गए
प्यारी सी दुनिया में हम तुम्हारे खो गए




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26 APR 2022 AT 13:45

कि तेरी खूबसूरती पर एक किताब लिख दूँ,
उसमे तेरी तारीफ बेहिसाब लिख दूँ

और, खुद को मैं उसमें बेताब लिख दूँ
शब्दों से भरे अपने सारे ज़ज्बात लिख दूँ

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16 APR 2022 AT 13:28


जिनकी भक्ति अनंत अपरम्पार है,
जिनका गुणगान करता सारा संसार है!
वो गुणी बलशाली, और अन्तर्यामी है,
श्री राम जिनके दाता और स्वामी है!!

वो बल बुद्धि विवेक के सरकार है,
नाम मात्र से उनके खुलते सारे द्वार है!
माँ अंजनी के राज दुलारे है,
श्री राम जिनको प्राण से भी ज्यादा प्यारे है!!

ऐसे दीनदयाल को कोटि कोटि प्रणाम है,
कहते जिन्हें संकट मोचन पवनपुत्र हनुमान है!
मेरे स्वामी की पावन कथा जगजाहिर है,
श्री राम काज मे जो कि सर्वदा माहिर है!!








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14 APR 2022 AT 8:52

पिछड़ों को जिन्होंने सम्मान दिला दिया
पूरे देश में उनका मान बढ़ा दिया
आजाद किया गुलामी की जंजीरों से उन्हें
पूरे देश से जाति भेद का भाव मिटा दिया
मिले सभी को एक बराबर का हक
बाबा ने संविधान जैसा एक नींव बना दिया

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12 MAR 2022 AT 0:05

कभी मिलता खाली वक़्त है, हमें
और, कभी वक़्त नहीं मिल पाता है,
ख्यालो के समुन्दर में हमेसा
गुजरा वो, वक़्त याद आता है!

टीस उठती मन मे, हमेसा
क्यों, वक़्त वो लौटकर नहीं आता है,
क्यों, संसार के माया जाल में
वक़्त मेरा उलझ कर रह जाता है!

~आदित्य सोनी

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8 MAR 2022 AT 14:42

कोई अम्मा कहकर,
तो कोई माँ कहकर बुलाता है
कोई बिटिया कहकर,
तो कोई गुड़िया कहकर पुकारता है !

हर मुश्किलों का सामना कर
मुश्किलों से लड़ना सिखाती है,
नींद ना आए जब रातो में,
तो, लोरियाँ गाकर सुलाती है !

कभीं पत्नी बनकर,
तो कभी माँ बनकर आती है,
कभीं बिटिया बनकर,
सारे जहाँ को खुशियों से सजाती है !

सब कुछ सहकर,
किसी से कुछ ना बताती है,
करे वो सब पर उपकार,
पर कभी ना जताती है !

हे, नारी तेरी महिमा अपरंपार है,
बिना तेरे सारे जीवन मे अंधकार है,
तेरे हर त्याग और बलिदानों पर,
भारतीय संस्कृति को अहंकार है !






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1 MAR 2022 AT 16:30

अरे बखान क्या करूँ मैं
राखों के ढेर का,
लपटी भभूत मे है
खजाना कुबेर का,
है, गंगधार, ओमकार मुक्ति द्वार, तू
आये शरण तिहारे शंभु तार तार दो

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22 FEB 2022 AT 0:26

अपने होंठों के मिठास को
मेरे लबों से तू लगा दे
और आशिक तेरा हूँ मै
मुझे भी ज़रा आशिकी करना सीखा दे

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20 FEB 2022 AT 1:06

क्या करूँ मैं ओ जिंदगी
ये सोचकर मैं परेशान हूँ,
और, कहने के लिये बहुत शब्द है
फिर भी मैं बेजुबान हूँ,
करना चाहता हूँ मैं भी बहुत कुछ
क्योंकि मैं भी तो एक इंसान हूँ,
क्या करूँ मैं ओ जिंदगी
क्यों खुद से मैं परेशान हूँ!



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7 FEB 2022 AT 12:27

आप वो ख़ुशनुमा सा एहसास हो
जिसे हर पल मैं जीना चाहता हूँ
तेरे मोहब्बत के जाम को
हर वक़्त मैं पीना चाहता हूँ
तू बने प्यार के बगिया की मालकिन
माली( आशिक) बनकर उसे मैं सींचना चाहता हूँ

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