Aditya Singh   (Ravi©)
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Joined 30 September 2017


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Joined 30 September 2017
14 SEP 2022 AT 13:56

चाह कर भी वो इस बात से मुकर नही सकती
कि उसे मेरी याद कभी आयी नही।

बस यू ही तुम बीच मझधार में छोङ कर चली गयी

और आज अचानक वापिस आयी हो वो भी इसीलिए
क्यों कि उसने मेरी जैसी वफ़ा कही नहीं पायी।

फिकर उसकी अभी भी है और रहेगी ।
पर वो प्यार और वफ़ा शायद ना दे सकू इसीलिए
अब तुम अपने रास्ते और में अपने रास्ते।।

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23 AUG 2022 AT 20:28

कुछ धागे कब कच्चे पड़ गए मुझे एहसास ही नहीं हुआ

क्या हमारे रिश्तों की बुनियाद इतनी कच्ची थी।

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11 JAN 2021 AT 5:32

Man are born with pain built in.
It's our physical destiny.

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10 JAN 2021 AT 20:28

और क्या हमेशा तुम्हारी ही मर्जी ही चाएगी हमेशा

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9 JAN 2021 AT 16:18

चानहे में कितना भी दिखावा करू
की अब तुम्हारी मेरी इस जिंदगी
में कोई अहमियत नहीं बची ।



_ _ _ _ _ पर तू ही खुद सोच की ऐसे कैसे भुलादु तुझे
तू ही बता ऐसे कैसे तेरी अहमियत ख़तम कर दू

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8 JAN 2021 AT 13:34

सवार हूं में
फिर भी कल के लिए
परेशान हू में ।
एक अजीब सी कशमकश
लिए सवार हूं।
कल की एक सोच
लिए आज भी उस
काजगनुमा कश्ती
में सवार हू।

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8 JAN 2021 AT 13:19

I find a lots of interesting things to do.

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7 JAN 2021 AT 15:57

चलो इत्तेफ़ाक़ से ही सही
तुम्हे हमारी याद तो आयी ,

तुम्हें ही तो वहां छोड़कर
चली गई थी
देखो वहां इंतेज़ार करते करते
धूल की एक परत ओढ़े
आज भी तुमसे हाथ मिलाने
के लिए खड़ा हूं ।

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7 JAN 2021 AT 15:40

इन ख्वाहिशों के बोझ में क्या क्या कर गया
इतना तो जीना भी नहीं जितना में रोज मर रहा हूं!

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13 OCT 2019 AT 14:59

अक्श हैं।
अक्शो में यादो की धुधली तस्वीर है।

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