मैं तुम्हारे लिए हर रोज़ प्रार्थना करता हूं कि
वो शख़्स जिसको तुमने अपने लिए चुना हैं
वो तुम्हारे उड़ान भरने के लिए
उतना ही आकाश छोड़े
जितना तुम मुझसे मांगा करती थी
उतनी ही जमीन खोजें
जितने में तुम मेरे साथ
घर बसाना चाहती थीं
उतना ही घर बसाए
जितने में तुम्हें
घुटन न होती हो
उतना ही भोजन परोसे
जितने में तुम्हारा
पेट भर जाता हो
उतना ही समय निकाले
जितने में तुम्हारा मन भर जाता हो
उतनी ही बातें सुने और कहे
जितनी तुम्हारे मन को भाती हो
और उसे कुछ भी करने में रस न हो
तो इतना तो करे ही कि
तुम्हे तुम बनने की स्वतंत्रता देता हो
फिर काम चल जाएंगा
फिर मुझे कुछ भी
मांगने की जरूरत नहीं
फिर तुम्हें भी उससे
कुछ मांगने की जरूरत नहीं
आदित्य सिंह
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Author of a Book ~ मीरा : मेरी प्यारी ग... read more
एक स्त्री जब प्रेम करती हैं तो संपूर्णता में करती हैं
कोई आगे की योजना नहीं आज हैं यही हैं अभी हैं प्रेम
कल के लिए कुछ नहीं छोड़ती
एक पुरुष प्रेम करता हैं तो खंड खंड में करता हैं
आगे की पूरी योजना हैं आज करेगा
कल के लिए थोड़ा छोड़ देगा
फिर जो छूटा है उसको पाने के लिए दौड़ेगा
इसलिए पुरुष बीत चुके प्रेम की इतनी बातें करते हैं जबकि
स्त्रियों सोचती हैं कि जो प्रेम किया जा चुका हैं
उसकी क्या बातें करना क्यों न नया प्रेम किया जाएं
- आदित्य सिंह-
पुरुष अगर किसी स्त्री के प्रेम में पड़ जाए तो उसे अपनी कठोरता छोड़नी पड़ती हैं एक स्त्री के लिए प्रेम में होना कोई परिवर्तनकारी अवस्था नहीं हैं उसका सारा जीवन प्रेम हैं उसके रूएं रुए से प्रेम निकल रहा हैं उसे बस समर्पण की आवश्यकता पड़ती हैं जो वो करती भी हैं
इसलिए स्त्रियों को नहीं समझ आता कि जब प्रेम हैं तो कहने और कसम व वादा करने की क्या आवश्यकता हैं लेकिन पुरुषों को ये लगता हैं कि अगर प्रेम हैं तो बताना आवश्यक हैं पुरुष प्रेम करता भी हैं तो उसके अहम का कुछ भाग शेष हमेशा रह जाता हैं उसके लिए प्रेम सभी कामों में एक काम हैं इसलिए जब वो प्रेम करता हैं तो दावा जताता हैं
एक स्त्री पूरी प्रेम हैं उसके लिए एक क्षण भी प्रेम हैं
और अगला क्षण भी प्रेम हैं वो खुद प्रेम हैं
पुरुष को जब वो मांगे तब जो मिले वो प्रेम हैं
इसलिए प्रेम में भी वो अपने अहम को पोषित करता रहता हैं
और फिर भी खोजता रहता हैं कि प्रेम क्या हैं
- आदित्य सिंह-
तुम मुझे चाहती भी हो
तुम्हें मुझसे अपनी बातें
साझा करना भी अच्छा लगता हैं
तुम जब मेरे साथ कुछ पल बिता लेते हो
तो तुम्हारा मन भी हल्का हो जाता हैं
तुम्हें मुझ पर अटूट श्रद्धा और विश्वास भी हैं
फ़िर जब फ़ैसला जिंदगी को बसाने का आया
तो तुम क्यों उन तथाकथित सत्य और यथार्थ
को स्वीकार कर लिए प्यारी गुड़ियां
जो तुम्हें पहले से भी पता थे
लेकिन तब भी तुमने
इन सब के होते हुए भी
कुछ पल के लिए
मेरे पास रुकना चुना
मुझसे बात करना चुना
मेरे पास बैठना चुना
कुछ तो होगा इन पलों में प्यारी गुड़ियां
जो न समझा सके तुम्हें
वे सत्य और यथार्थ
या तुमने समझ कर भी
अनसुना कर दिया होगा और
कुछ पल के लिए
रुकना चुन लिया होगा
बोलो प्यारी गुड़ियां
मैं तुमसे सुनना चाहता हूं सत्य
क्योंकि मेरे लिए सत्य और यथार्थ तुम ही हो प्रिय
- आदित्य सिंह-
प्रेमिकाओं को
इस बात का
ध्यान रखना
चाहिए कि
उनके द्वारा
किसी पुरुष का
परित्याग करना
उन्हें उस
कठोर पुरुषों की
श्रेणी में
पुनः ला सकता हैं
जिससे हटकर
किसी दिन उन्होंने
किसी स्त्री को
प्रेम करना चाहा था
- आदित्य सिंह-
प्रेमियों को सबसे पहले आहट मिली होगी ईश्वर की
वो प्रेम करते- करते ईश्वर हो गए होंगे
- आदित्य सिंह-
कितनी भीषड़ स्थिति है
सारी प्रकृति में प्रेम घट रहा हैं
लेकिन कोई दावा करने वाला नहीं है
सारी मनुष्य जाति एक दूसरे पर दावा कर रही हैं
लेकिन कोई प्रेम करने वाला नहीं हैं
- आदित्य सिंह-
पुरुषों ने ईश्वर से ज्यादा पुकारा हैं अपनी प्रेमिकाओं को
प्रेमिकाएं नहीं आई ईश्वर उतने पुकारे नहीं गए
- आदित्य सिंह-
हम पुरुषों को पुष्पों में सुंदरता पहली बार तब दिखाई दी होगी
जब हमने देखा अपनी प्रेमिका को अपना सौंदर्य निहारते हुए
- आदित्य सिंह
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