Aditya Singh  
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Joined 9 April 2020


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Joined 9 April 2020
6 SEP 2021 AT 20:14

उनसे हमारी अब कोई बात नहीं होती
ख़ुद ही ख़ुद में उनसे अब बात करते हैं

© आदित्य सिंह

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5 SEP 2021 AT 21:59

कुछ समय लगा ये समझने को
वो दूर नहीं गए बहुत करीब आ गए हैं

© आदित्य सिंह

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1 SEP 2021 AT 21:33

उसने घनी रातों में बिना तकिए के सपने देखने शुरू कर दिए थे -
उसका प्रियतम अब उस तकिए के सहारे उसके सारे सपनों को पढ़ सकता था

© आदित्य सिंह

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31 AUG 2021 AT 21:59

दुखद ये नहीं कि
कोई हमें ऐसे कैसे छोड़ गया

दुखद तो ये है कि
उन्होंने प्रेम को ही खारिज़ कर दिया

© आदित्य सिंह

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30 AUG 2021 AT 12:48

....

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29 AUG 2021 AT 22:26

प्रेम हमें वहां ज़रूर ले जाता है एक बार
जिसके लिए हम रोज़ ईश्वर को याद करते हैं

© आदित्य सिंह

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20 AUG 2021 AT 0:57

तुम ऐसे जीना
जैसे तुमने किसी से
प्रेम किया ही न हो -

मैं ऐसे जीऊंगा
जैसे मैंने
तुम्हारे अलावा
किसी से
प्रेम किया ही न हो

तुम जीते जीते प्रेम बचा लेना
मैं प्रेम करते करते तुम्हें बचा लूंगा
लेकिन जिएंगे हम दोनों ही ।

© आदित्य सिंह

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17 AUG 2021 AT 18:57

तुम तक अब मेरे पत्र नहीं पहुंचते
उनको अब स्पैम फोल्डर से इश्क़ हो गया है ।

© आदित्य सिंह

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17 AUG 2021 AT 18:03

तुमने कभी
नहीं लिखा
मेरे बारे में -

मैं कभी नहीं
रहा नायक
तुम्हारी कहानी का ।

© आदित्य सिंह

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9 AUG 2021 AT 22:47

उससे रिश्ता टूटने के बाद
कुछ जुड़ा है ,
तो वो है
उससे जुड़ी यादें ।

© आदित्य सिंह

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