एक प्रेमी के लिए उसकी प्रेमिका हमेशा साथ और जीवित रहती हैं
वो उसे प्रतिपल अपने पास जीवित रखता हैं
मानो ये उसके जीवन मरण का सवाल हो
सुबह जल्दी उठने से लेकर चाय की चुस्कियों के साथ
नाश्ते में या फिर दोपहर के खाने में हो या रात के खाने में
वो कोई खुद के जीवित रहने के लिए पेट नहीं भर रहा होता है
वो इन माध्यमों में अपनी प्रेमिका को
कल्पनाओं में बांध कर जीवित करे रहता हैं
ये चाय नाश्ता खाना या कोई अन्य नशा
जीवन ढोने के ढंग होंगे वाकी लोगों के लिए
लेकिन एक प्रेमी के लिए खाने का एक निवाला
उसके खुदकी पेट में नहीं बल्कि प्रेमिका के पेट में पहले गिरता हैं
उसके सामने ये घटनाएं प्रत्यक्ष घट रही होती है
जो शायद और लोगों को दृश्यमान न हो
लेकिन उसके दिमाग में एक बृहद प्रक्रिया
अंदर ही अंदर चल रही होती हैं
जो बाहर से दिखाई नहीं दे रही होती हैं
ऐसा करके वो अपनी आयु बढ़ा रहा होता हैं
नहीं तो प्रेमिका के जाते ही शायद उसके प्राण निकल गए होते
इसलिए तो एक प्रेमी के मरने पर कहा जाता है कि
एक नहीं दो लोगों की मृत्यु हुई है
- आदित्य सिंह-
प्रेम , करुणा , अहिंसा , सत्य और मेत्रीय
( पंच तत्व )
Follow me... read more
अमावश पर
तुम्हारा मुझसे मिलने आना
और फिर ठीक
१४ दिन तक गायब हो जाना
कभी कभी मुझे
बहुत बेचैन कर देता हैं
कही तुम चांद की तरह
दाग दार तो नहीं
- आदित्य सिंह-
प्रेम को चाहे
खतरा मानिए
धोखा मानिए
विश्वासघाती कहिए
असत्य कहिए
लेकिन प्रेम करिए ज़रूर
क्योंकि इसके बिना
सुरक्षा विश्वास सत्य का
कोई मूल्य नहीं हैं
दो लम्हा सोच कर देखिए
आप सुरक्षित हैं
लेकिन अप्रेम में जी रहे हैं
और सोच रहे हैं कि काश
कोई प्रेम करने वाला मिल जाता
लेकिन आप भी जानते हैं
कोई नहीं आने वाला
क्योंकि आपका दरवाज़ा बंद हैं
न कोई अंदर आ सकता हैं
और न ही कोई बाहर
- आदित्य सिंह
-
अगर मनुष्य में कोई चीज़ हैं
जो सबसे ज़िद्दी और
बचपनें से भरी हैं
तो वो हैं मनुष्य का दिल
इसे तब भी नहीं पता चला था
कि इसे किसी से प्रेम हो गया हैं
और अब जब वो शख़्स
इसे छोड़ चला गया हैं
तब भी ये मानने को तैयार नहीं हैं
कि ऐसी कोई घटना हुई भी हैं
- आदित्य सिंह
-
तुम मेरे जीवन का हिस्सा हो
तुम्हे जाने की इज़ाजत कैसे दे दूं
- आदित्य सिंह-
बारिश की बूंदें
जब बदन पर पड़ती हैं न
तो तुम्हारा स्पर्श
मुझे बहुत याद आता है
तुम भी बारिश की तरह
जब तक पूरे बदन को
छू न लो
तुम्हें भी तब तक
चैन कहां आता था ll
- आदित्य सिंह-
तुम्हारा रूठना और बारिश का बरसना
दोनों ही मानने वाले लोगों में से नहीं हैं ll
- आदित्य सिंह-
तमाम उलझनें हैं
फिर भी छाया हैं खुमार तुम्हारे इश्क़ का ही
तुम जितने याद आतें हो होश उतना उड़ने लगता हैं
क्या कभी प्यार हुआ है तुम्हें भी
- आदित्य सिंह-
तुम्हें इज़ाजत हैं हर उस आवरण को छोड़ने की
जो तुम्हारे आवरण को पोषित न करता हो
चाहे इस रास्ते पर मैं पड़ूं या फिर कोई और
तुम्हारा आवरण हमेशा बना रहना चाहिए
- आदित्य सिंह-
जैसे घर का दरवाज़ा
अंदर आने के लिए भी हैं
और बाहर जाने के लिए भी
वैसे ही प्रेम में भी
अंदर आने और बाहर जाने की
स्वतंत्रता होनी चाहिए
- आदित्य सिंह-