Aditya Raj   (आदित्य राज 'राबरे')
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Joined 9 January 2019


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6 FEB 2022 AT 16:07

बांसों की हत्या हुई
नोट छपे
मुआवजा एलाना गया
वोट पड़े
किसानों की हत्या हुई
हत्यारों ने
मुआवजा एलाना
वोट पड़े .....

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26 JAN 2022 AT 23:29

इज़हारे-मुहब्बत की जो हिम्मत नहीं करते
वे लोग ज़माने से बग़ावत नहीं करते

खुशबू से जिन्हें इश्क़ है लुट जाते हैं, लेकिन
काँटों से किसी हाल में उल्फ़त नहीं करते

हर हाल में रिश्तों की ये सांसें रहे ज़िंदा
हम ज़ुल्म तो सहते हैं शिकायत नहीं करते

बेचैन बहुत होते हैं वो रातों में अक्सर
जो अपने उसूलों की हिफ़ाज़त नहीं करते

सचझूठ का अंदाज़ लगा लेते हैं हम भी
माना कि अदालत में वकालत नहीं करते

Anirudh sinha

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25 JAN 2022 AT 21:40


हर एक रात को महताब / 'अज़हर' इनायती

हर एक रात को महताब देखने के लिए
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए.

न जाने शहर में किस किस से झूट बोलूँगा
मैं घर के फूलों को शादाब देखने के लिए.

इसी लिए मैं किसी और का न हो जाऊँ
मुझे वो दे गया इक ख़्वाब देखने के लिए.

किसी नज़र में तो रह जाए आख़िरी मंज़र
कोई तो हो मुझे ग़र्क़ाब देखने के लिए.

अजीब सा है बहाना मगर तुम आ जाना
हमारे गाँव का सैलाब देखने के लिए.

पड़ोसियों ने ग़लत रंग दे दिया 'अज़हर'
वो छत पे आया था महताब देखने के लिए.

अजहर इनायती।

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25 JAN 2022 AT 21:36

गई तो दर्द भी लेते जाती
तस्वीर देखकर तेरी
अब भी
शौक मयखाने का ही रहता।

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23 JAN 2022 AT 21:34

मुझे नींद आ रही ,
ये बड़ी बात नहीं है
लेकिन बड़ी यह है कि
तेरे से बात करते हुए आ रही है
मुझे नींद।

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22 JAN 2022 AT 23:35

मेरी जरूरत
अक्सर रोक लेती है मुझे
ठहर जाता हूं मैं ना चाहते हुए भी
अब मेरा कहीं ठहर जाना अजीब नहीं लगता किसी को।

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22 JAN 2022 AT 23:29

सर्दियों के मौसम में
तुम से भी अधिक प्यारा लगता है
मुझे मेरा मुलायम कंबल।

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22 JAN 2022 AT 23:15

हम मगध वाले हैं जो दहेज में पूरा काशी ले लेते हैं

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22 JAN 2022 AT 23:07

जाते-जाते कहती गई मिलेगा नहीं मुझ सा कोई
मैंने कहा
जा जा कमबख्त चाहिए भी नहीं मुझे तुझसा कोई।

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21 JAN 2022 AT 3:04

शुक्रिया- ए - इश्क कि अब तक जिंदा हूं,
किताबों में उलझकर कबके मर गए होते।

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