बांसों की हत्या हुई
नोट छपे
मुआवजा एलाना गया
वोट पड़े
किसानों की हत्या हुई
हत्यारों ने
मुआवजा एलाना
वोट पड़े .....-
@BHU, varanasi
Ex-navodayan (Jnv, Madhubani)
चला था मशीनों से खेलने, कलम से खेल ... read more
इज़हारे-मुहब्बत की जो हिम्मत नहीं करते
वे लोग ज़माने से बग़ावत नहीं करते
खुशबू से जिन्हें इश्क़ है लुट जाते हैं, लेकिन
काँटों से किसी हाल में उल्फ़त नहीं करते
हर हाल में रिश्तों की ये सांसें रहे ज़िंदा
हम ज़ुल्म तो सहते हैं शिकायत नहीं करते
बेचैन बहुत होते हैं वो रातों में अक्सर
जो अपने उसूलों की हिफ़ाज़त नहीं करते
सचझूठ का अंदाज़ लगा लेते हैं हम भी
माना कि अदालत में वकालत नहीं करते
Anirudh sinha-
हर एक रात को महताब / 'अज़हर' इनायती
हर एक रात को महताब देखने के लिए
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए.
न जाने शहर में किस किस से झूट बोलूँगा
मैं घर के फूलों को शादाब देखने के लिए.
इसी लिए मैं किसी और का न हो जाऊँ
मुझे वो दे गया इक ख़्वाब देखने के लिए.
किसी नज़र में तो रह जाए आख़िरी मंज़र
कोई तो हो मुझे ग़र्क़ाब देखने के लिए.
अजीब सा है बहाना मगर तुम आ जाना
हमारे गाँव का सैलाब देखने के लिए.
पड़ोसियों ने ग़लत रंग दे दिया 'अज़हर'
वो छत पे आया था महताब देखने के लिए.
अजहर इनायती।
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गई तो दर्द भी लेते जाती
तस्वीर देखकर तेरी
अब भी
शौक मयखाने का ही रहता।-
मुझे नींद आ रही ,
ये बड़ी बात नहीं है
लेकिन बड़ी यह है कि
तेरे से बात करते हुए आ रही है
मुझे नींद।-
मेरी जरूरत
अक्सर रोक लेती है मुझे
ठहर जाता हूं मैं ना चाहते हुए भी
अब मेरा कहीं ठहर जाना अजीब नहीं लगता किसी को।-
सर्दियों के मौसम में
तुम से भी अधिक प्यारा लगता है
मुझे मेरा मुलायम कंबल।
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जाते-जाते कहती गई मिलेगा नहीं मुझ सा कोई
मैंने कहा
जा जा कमबख्त चाहिए भी नहीं मुझे तुझसा कोई।-
शुक्रिया- ए - इश्क कि अब तक जिंदा हूं,
किताबों में उलझकर कबके मर गए होते।-