Aditya Pratap Singh   (आदित्य प्रताप सिंह)
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Joined 22 June 2019


Joined 22 June 2019
10 FEB AT 1:28

यार सबकुछ नहीं है अभी मेरे पास तुम्हें देने के लिए ,
पर एक वादा है तुमसे जिस समय जो और जितना होगा सब तुम्हारा होगा ,
शर्त एक है तुम हमारे होना।

यार बस एक जीवन है थोड़ा वक्त है प्यार है हमारा साथ है
पर एक वादा है सब जो भी है जितना भी है तुम्हारा है
शर्त एक है तुम बस दिल की सुनना।

कुछ ख़्वाब हैं कुछ वादे हैं बेहद हसीन इरादे हैं हमारा विश्वास है
ये जन्मों जन्मों का साथ है ,जो भी है सिर्फ़ तुम्हरा है
शर्त बस एक है तुम प्रेम में रहना।

ईमान है वफ़ा है हम हैं दुआ है मंजिल है रास्ता है
साथ में सफ़र बस यही एक वास्ता है,
शर्त बस एक है तुम बस अपने दिल की कहना ।

तुम्हरा घर है मेरा घर है दुःख हैं सुख हैं साथ है याद है खुशी है विषाद है
मेरी जान तुमसे एक वादा है , खुशी सब तुम्हारी बाकी सब आधा आधा है,
शर्त बस एक है स्मृति तुम मुस्कान को चुननाll
जीवन के अंधेरे में प्रकाश को चुनना
है जुगनू बहुत जिंदगी में यारा तुम दिल से दिनमान को चुनना।

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26 DEC 2023 AT 2:55

रिश्तों की गहराई और उम्र साल , हफ्तों , दिन , घंटों में नहीं समझी जाती न ही मापी जाती है,
गहराई समझी जाती है भावों से और भाव बनते हैं उस एक क्षण से जब ये पता चलता है की यार अगर वो नही होता तो जिंदगी में कुछ कम रह जाता,
की यार वो है जरूरत पड़ी तो जोर से रो लूंगा और वो आंसू जमीन पर नहीं गिरने देगा ।
और उम्र नापी जाती है निभाने वाले के हौसलों से , उसकी आंखों में दिखते हुए उस भाव से जो कहते हैं यार तू बस मंज़िल पर नज़र रख,
राह में आने वाले हर पत्थर को हम मिलकर हटा देंगे, तू अगर गिरने लगा तो हम संभाल लेंगे ,
शिखर पर पहुंचेंगे तो तू भी बगल में होगा ,
दुनिया भी कहेगी की संघर्ष को मिला विजय का साथ है
अब जो बन रहा वह इतिहास है।

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26 DEC 2023 AT 2:14

सन्नाटा चीख कर कुछ कह रहा है
सुना रहा है संघर्ष का मधुर गान, जो लग रहा है अभी कठोर कर्कस स्वर
रो रहा है विषम अंधकार में, या की शायद गा रहा है
जाग रहा है पर आंखों में नीद है या शायद नीड़ की याद है |

आंखे रुक नहीं रही
झोख देगा वह खुद को आग में या खुद आग हो लेगा
उठेगा फीनिक्स की तरह फिर लपटों से या राख हो जाएगा |

सन्नाटा कह रहा है अकेला है तू , या की शायद बहुत सारी उम्मीदों का अंधेरा है
शायद लड़का है वो रो नही सकता , बस लड़ सकता है
समझा नहीं सकता या शायद कोई उसे समझ नही सकता |

बन गया है वस्तु वो , इच्छाओं को मारते मारते
अब क्या करेगा , ये नहीं तो वो या फिर होगा खत्म
सन्नाटा भी तो सिर्फ उसका अपना नही ,
उसको भी उम्मीद है
तोड़ देगा या की शायद खुद टूटेगा ।

पता नहीं
सहर्ष स्वीकार है संघर्ष भी और अंधेरा भी
जीवन भी और मृत्यु भी।

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15 OCT 2019 AT 0:02

आज भी याद है वो कॉलेज का आखरी दिन,
कुछ खुश की हम बड़े हो गए,
कुछ गम की कुछ लोग अलग हो गए,
आज भी याद है नम आंखो पर,
मुस्कुराते हुए चेहरे वाला वो दिन,
आज भी याद है वो कॉलेज का आखरी दिन।।

वो कुछ दोस्त जो सच्चे थे,
वो एक लड़की जो अच्छी थी,
हंसना खेलना उसके नाम से बुलाना,
बात बात पर पार्टी लेना और लड़ जाना
सब खो रहे थे पर सब हस रहे थे,
शायद सब मन के सच्चे थे हम सब बच्चे थे,
हां याद है वो कॉलेज का आखरी दिन।।

जरा सी बात पर तन जाना,
वो दोस्तो के लिए जमाने से लड़ जाना,
वो हर लड़की का भाभी हो जाना,
देखते ही उसे दोस्त को फोन लगाना ,
क्लास कभी कभी जाना कॉलेज रोज पहुंच जाना,
हम सब हस रहे थे पर दिल कहीं ना कहीं खो रहा था,
मन रो रहा था हां कुछ खो सा रहा था,
वो कॉलेज का आखरी दिन था।।

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5 OCT 2021 AT 18:46

वो चांद बहुत खूबसूरत दिख रहा है
हां पर आपकी आंखों का प्रतिबिंब लग रहा है;
वो नदी की चाल कुछ तेज हो रही है,
हां जरूर आपकी अदा को देख लाजा रही है;
वो पर्वत कुछ झुका सा लग रहा है,
हां जरूर आपके दरस को तरस रहा है;
वो कहीं से संगीत का मधुर स्वर आ रहा है,
हां जरूर कोई कान्हा तुम्हें बुला रहा है;
वो क्या तुम्हें हिचकी आ रही है,
ये मेरी मोहब्बत तुम्हें सता रही है।।

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5 OCT 2021 AT 18:41

झूठी दुनिया की झूठी मुस्कान की तरह ,
जिंदा है हम भी आपसे दूर बस आप की तरह ।।

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4 OCT 2021 AT 19:28

नाकाम है हर उस झरोखे का काम ,
जिससे मेरे यार का घर न दिखे ;
छीन ले मेरे मौला मेरे जहन से हर वो याद ,
जिस याद में उसकी याद का असर न मिले ।।

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10 SEP 2021 AT 19:19

वो कहते थे मुझे ख्वाब, मै हकीकत अपनी,
मैंने यहां हर ख्वाब बदलते देखा है।
इश्क के जज्बे की करो कद्र मेरे दोस्त,
मैंने यहां बातों से पहले इंसान बदलते देखा है।

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19 AUG 2021 AT 21:50

खुद ही खुद को तोड़ देंगे ,
जिन्दा तो रहेंगे मगर जीना छोड़ देंगे ;
इतना बिखरेंगे तो रो देंगे ,
टूटेंगे इतना तो खुद को खो देंगे ।।

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1 AUG 2021 AT 14:13

बेहद गर्मी में बारिश की फुहार जैसा है ,
जिंदगी की दौड़ भाग में तू इतवार जैसा है ।

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