ये आसमान अँधेरे में हैं।
सारा जहान अँधेरे में है।
रौशनी कैसे आये पास मेरे,
मेरा रौशनदान अँधेरे में है।
शायद वो रूठी है मुझसे,
हाँ मेंरी जान अँधेरे में है।
जिस राह से डरते हैं लोग,
वहीँ मेरा मकान अँधेरे में है।
इंसानियत ने, दम तोडा जहाँ,
बस वहीँ, ईमान अँधेरे में है।
जहाँ इश्क का चलता था व्यापार,
आज वहीँ, दुकान अँधेरे में है।
शिकस्त ने पीछा नहीं छोड़ा, सौरभ!!
शायद, तेरी पहचान अँधेरे में है।
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