Aditya Neerav   ('नीरव')
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लिखते रहना ही कवि की जिंदगी है
कुछ न लिखना मृत्यु समान होता है
Joined 11 October 2018


लिखते रहना ही कवि की जिंदगी है
कुछ न लिखना मृत्यु समान होता है
Joined 11 October 2018
2 JUL AT 22:49

समय को समय से पकड़ने की होड़ है
हर तरफ सिर्फ़ आज दौड़ ही दौड़ है

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26 JUN AT 20:52

तेरी चिंता जायज है मां
खतरों से तूने मुझको संभाला है

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25 JUN AT 22:07

अपनी बर्बादियों का ज़िम्मेदार किसे कहूं
मैं खुद ही शामिल था यह जश्न मनाने को

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24 JUN AT 21:43

मैं दुश्मन को भी गले लगा लूं
गर रहना चाहे वो मीत की तरह
मूक होकर भी बहुत कुछ लिखा है मैंने
लोग पढ़ते रहे उसे गीत की तरह

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12 JUN AT 22:24

हादसों की कोई कमी नहीं है
ये मौत जो हुई है नई नहीं है
लापरवाही हो या फिर कुदरत का क़हर
हालात जो बिगड़ी है सही नहीं है

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4 JUN AT 15:33

रूठे हुए को मुझे मनाना नहीं आता
कहते हैं लोग रिश्ते निभाना नहीं आता
कैसे साबित करें सच क्या है 'यारों'
झूठी तसल्ली से दिल बहलाना नहीं आता

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4 JUN AT 15:27

स्व प्रकाश वही मिलेगा
बीज जहां बोये हो मिट्टी में
फूल एक दिन वही खिलेगा

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28 MAY AT 6:57

हो सुबह अपनी भी
कि अंधकार छाया है
विपत्ति के समय में
लगता सब मोह-माया है

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19 MAY AT 22:23

फ़र्ज जब एहसान बन जाए
भला मुसीबत में फिर कौन काम आए

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18 MAY AT 22:03

तपती गर्मी से थोड़ी राहत है यारों
इस तड़पते ह्रदय को कब सुकून मिलेगा

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