समय को समय से पकड़ने की होड़ है
हर तरफ सिर्फ़ आज दौड़ ही दौड़ है-
Aditya Neerav
('नीरव')
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लिखते रहना ही कवि की जिंदगी है
कुछ न लिखना मृत्यु समान होता है
कुछ न लिखना मृत्यु समान होता है
Joined 11 October 2018
25 JUN AT 22:07
अपनी बर्बादियों का ज़िम्मेदार किसे कहूं
मैं खुद ही शामिल था यह जश्न मनाने को-
24 JUN AT 21:43
मैं दुश्मन को भी गले लगा लूं
गर रहना चाहे वो मीत की तरह
मूक होकर भी बहुत कुछ लिखा है मैंने
लोग पढ़ते रहे उसे गीत की तरह-
12 JUN AT 22:24
हादसों की कोई कमी नहीं है
ये मौत जो हुई है नई नहीं है
लापरवाही हो या फिर कुदरत का क़हर
हालात जो बिगड़ी है सही नहीं है-
4 JUN AT 15:33
रूठे हुए को मुझे मनाना नहीं आता
कहते हैं लोग रिश्ते निभाना नहीं आता
कैसे साबित करें सच क्या है 'यारों'
झूठी तसल्ली से दिल बहलाना नहीं आता-
4 JUN AT 15:27
स्व प्रकाश वही मिलेगा
बीज जहां बोये हो मिट्टी में
फूल एक दिन वही खिलेगा-
28 MAY AT 6:57
हो सुबह अपनी भी
कि अंधकार छाया है
विपत्ति के समय में
लगता सब मोह-माया है-