जिस के होने से मैं खुद
को मुकम्मल मानता हूँ,
मेरे रब के बाद मैं बस
मेरी माँ को जानता
हूँ ! !-
ऐ-हुस्न मैं तेरे इश्क़ की रवानी से मर जाऊँ,
मुझे वो प्यास है कि शायद मैं पानी से मर जाऊँ..!
तुम उसको देख कर छू कर भी जिन्दा लौट आये हो,
मैं उसको ख्वाब में भी देख लू तो हैरानी से मर जाऊँ..!!-
किसकी तलाश है हमें
किसके असर मे हैं
जब से चले है घर से
मुसलसल सफर में हैं-
और फिर लगा की
धड़कन ने ठहरने का सोच लिया हो,
मंजर थम सा गया हो और
रौशनी ने जैसे उस एक जगह,
ठीक उस एक जगह अपना घर कर
लिया हो..
कुछ ऐसे पहली नज़र मे
सब कुछ लुटा बैठे थे हम,
कुछ ऐसे उन हसीन आँखों से
आँखे मिला बैठे थे हम !
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कभी यहाँ पे भीड़ होती है कभी यहाँ पे मेला होता है
जो पीछे छूट जाता है वो हर बार अकेला होता है
पर इस जगह को भर जाने की उम्मीद भी होगी
अभी तो सब खाली है कुछ देर मे भीड़ भी होगी.....!-
तेरा फ़रेब तेरी बातें आज फिर दोहरानी है...
किसी और से तो कहना ही नहीं है
ख़ुद से भी जो बातें छुपा रखी थी
आज वो सब ख़ुद को बतानी है...!
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एक खता करनी है मुझको कर लूँ क्या.....
एक बार और मरना है मुझे....
फिर तुझसे ही इश्क कर लूँ क्या.....?-
नदी ढूँढती है समंदर को,ना जाने कैसी आस है...!
पानी तरस रहा पानी कोे,ये ना जाने कैसी प्यास है...!!-