इतनी मसाकत के बाद मिला है ये आशानी तुम्हे!!
क्यों ढोहना इस नन्हे से मन पर बोझ
उस खुराफ़ाती सिरफिरे दिल का..
फिर मिलते है दोबारा कही,
जहा तुम,मैं और रहे वो आवारा शाम..
कुछ तुम कहो,कुछ हम सुने
कुछ तुम सुनो,फिर हम कहे...
बातों की लहरे सर-सर कुछ यूं बहे,
सुनेहरी शामे ढलने को हो पर राते कहे...
क्या हड़बड़ी है मेरी जान तुम्हे,
तुमभी बन जाओ हिस्सा
इनके इतिहासों के मेहफिल का ।।
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