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इश्क़, वो है
जो निरंतर, अथक, हमेशा अपनी बनाई हुई
किसी ख़्वाबों की दुनियां में
और ऊँची उड़ान भरने वाली बेचैन चिड़ियां
इश्क़, नहीं है तो बस वो
जो एक उम्र पर आकर
ठहर जाए,
मुकम्मल होना,
इश्क़ नहीं हो सकता।-
इस साल की तरह ही थोड़ा सा बचा हूँ, मुझ में मैं ।।
की सम्भाल लो अब, जितना भी बचा हूँ, तुझ में मैं ।-
लड़ते रहते हो
मज़हब के नाम पर
तुम, तुम और तुम
जला देते हो घर हमारा।
धर्म और इंसानियत
क्या ख़ाक समझ आएगी तुम्हें
तालीम ही क्या है तुम्हारा।-
एक चाँद आसमां में, और
सब की छतों पर हज़ार निकले हैं।
हाथ में पूजा की थाली,
दिल में लेकर प्यार निकले हैं।
उम्र हो लम्बी, सदा सुहागन रहे,
मन में लेकर ये विचार निकले हैं।
करने को करवाचौथ,
सब तैयार निकले हैं।-
क्यों न शर्म करे कोई, जब भटकना परे ।
नवरात्रा में कन्याओं के लिए ।।-
कुछ कह पाए जो लब मेरे, तारीफ़ में आप के ।
सच कहूं तो खूबसूरती की परिभाषा आप हो ।।-
अच्छा सुनो!
मैं सुधर जाऊंगा
आज नज़र से गिरा हूँ
कल दिल में उतर जाऊंगा
जिंदा हूँ तो बुरा हूँ बहुत मैं
अच्छा बनने के लिए मर जाऊंगा-
फ़िर से, मेरे दिल में आने का रास्ता ढूंढ रही हो
ज़रा संभल कर, टूटा हुआ है, कहीं लग न जाए
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