Aditya Gupta   (आदित्य गुप्ता)
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Joined 31 March 2018


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Joined 31 March 2018
16 APR 2020 AT 13:40

दुनिया जहाँ में नुक्स ढूँढता है,
अजीब शख्स है मियाँ किताबो में इश्क ढूँढता है ।।

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14 APR 2020 AT 1:16

किसी से अलग तो किसी से मिला हुआ लगता हूँ,
मैं खुद को कभी-कभी गिरा हुआ लगता हूँ,

चीथड़े-चीथड़े किये थे खुद के मैंने कभी,
अब जब चलता हूँ तो दुनिया को सिला हुआ लगता हूँ,

फ़र्क़ ही नहीं पड़ता मुझे अब किसी के होने या न होने से,
सच कहूँ? मैं खुद को मरा हुआ लगता हूँ,

एक ज़माना हुआ मुझको बात नहीं की खुद से,
अब जो सोचता हूँ, तो एक सिलसिला सा लगता हूँ,

थोड़ा एहतियात बरतिएगा मुझसे हुज़ूर, मैं काम का रहा नहीं अब,
मैं खुद को भी अब डरा हुआ लगता हूँ,

किसी मुक़ाबले में शायद कभी जीत भी जाऊँ,
अभी तो सिर्फ हारा हुआ लगता हूँ।।

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23 OCT 2019 AT 21:20

मिलेंगे फिर से,
ये आस रहने दे,
जब मुलाकात होगी तो ये कहुँगा कि,
खुद को मेरे दिल के पास रहने दे,
मेरा बस चले तो मैं उन लम्हो से भी कह दूँ कि,
जहाँ जाना है तुझे चला जा,
मगर ये अहसास उम्रभर मेरे पास रहने दे !!

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12 OCT 2019 AT 20:06

जिंदगी में ग़म था, मरहम, तेरी नजर हो गई,
जिंदगी में मानो कोई अंधेरा था घना,
सुकुन की मानो कोई घड़ी खो गई,
मैने दीदार इक दफ़ा क्या किया तेरा,
मानो जिंदगी में नई कोई सहर हो गई !!

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13 JUL 2019 AT 10:56

उम्र की जवानी है,
जवानी में जोश है,
इश्क के पीछे सारा जहाँ ही मदहोश है,
इश्क से गहरा नशा तो तेरी बोतल में भी नही है साक़ी,
क्योकि, शराब पीने वाले तो फिर भी होश में चल लेते है,
जहाँ में तो अब भी इश्क वाले इश्क मेें ही बेहोश है!

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6 APR 2019 AT 13:33

एक इन्सान किसी समारोह में जाने के लिए अपने सिर पर लगे तेल से लेकर अपने पैर के जूते तक सब बदल कर जाता है बस खुद को बदलना भूल जाता है, और यही जिंदगी का कड़वा सच है।

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2 SEP 2018 AT 14:32

मुश्किल होता है,सच्चा इश्क ढूंढ़ना,
इस प्यार के बाज़ार में,
दिल लगाना,फिर तुड़वाना इज़हार में,
एक ही दिल है मेरे पास,
क्यों दिल तोडू अपना बेकार में?

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31 AUG 2018 AT 8:26

आज रात कुछ ज्यादा लम्बी सी लग रही है,
चाँद का आकार भी आज बड़ा है,
ऐसा लगता है मानो कहीं कोई,
चाँद को निहारने के लिए बड़ी बेसब्री से खड़ा है,
ईधर भी चारो ओर बत्तीयाँ जल रही है,
फिर भी सब सुनसान पड़ा है,
बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हॅूँ,
मै अब चाँद के ढलने का,
जो मैं जाग रहा हूँ तो यकीनन मेरी कल्पना कोई नया ख़्याल बुनेगी,
नजाने सपनों वाली नींद मुझे कब चुनेगी,
नजाने ये अंधेरे का चाँद,कब ढ़लेगा?,
और नजाने कब उजाले का सुरज उगेगा?,
पता नहीं मुझे इस वक्त कौन सी दुनिया जग रही है,
आज रात कुछ ज़्यादा लम्बी सी लग रही है.......

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26 AUG 2018 AT 18:06

नही है कोई भी बहना सगी,
फिर भी कलाई पर इतनी राखियाँ बंध गई,
बाकीभाईयों की तो नही खबर मुझे,
लेकिन मेरी मुँह बोली बहनों के वजह से मेरी राखी शानदार मन गई...!

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20 AUG 2018 AT 22:16

हार जाओगे तुम ये जान कर भी उस कार्य में अपनी जान लगा दो क्या पता जीत की मंजिल तुम्हे वही से दिख जाए..!

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