Aditya   (Aditya)
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SAIL : BHILAI STEEL PLANT
IIT GUWAHATI
Mechanical
Traveller
Joined 18 November 2016


SAIL : BHILAI STEEL PLANT
IIT GUWAHATI
Mechanical
Traveller
Joined 18 November 2016
20 DEC 2022 AT 0:40

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20 NOV 2016 AT 12:12

आपसी रंजिशों में उलझी हुई
वक़्त के साथ आगे बढ़ती हुई
बेबाक और बेख़ौफ़ सी
पर ये दुनिया अब इतनी भी जालिम नहीं
की तुझे ही भूल जाये

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19 NOV 2016 AT 18:09

ख्वाहिशें भी अधूरी हैं
और कुछ बातें भी

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18 NOV 2016 AT 1:14

यूँ ही तेरे ख्यालों में,
आज फिर मेरी शाम बीती
लाल से उस आसमाँ को,
निगाहें तेरा चेहरा मान बैठी
खो गया मैं उस समां में ,
तुझे ढूढ़ने एक अनजान से जहां में
वहां तुझसे मेरी जब मुलाकात होगी
लफ़्ज़ों से न सही पर इशारों में ही तुझसे बात होगी
फिर कैद कर लूंगा तुझे मैं अपनी निगाहों में
मिलता रहूँगा तुम्हे हर एक राहों में
सासों को थाम तुझे देखा करूँगा
तेरी ख़ामोशी में जवावों को ढूँढा करूँगा
फिर रातों के आगोश में तुझसे मुलाकात होगी,
इस दिल की बस सदा यही आस होगी
फिर चल दूंगा कुछ ठिठककर शायद
तेरे ख्यालों में मेरी एक और शाम गुलजार होगी

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5 MAY 2019 AT 17:29

जो पूछ बैठा आज खुद से तू बता चाहत है क्या
इल्म होता है ये मुझको ये बला राहत है क्या

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5 MAY 2019 AT 14:34

बैचैन से दिल को भी
अब कोई आराम नहीं है
थोडा तो सब्र रख लूं
ऐसा भी कोई पैगाम नहीं है

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27 JUL 2018 AT 17:58

दुबले पतले ,सूखे सुपडे
टूटी चप्पल, मैले कुर्ते
कंधों पर बोझा लादे लोग
शहरों से गाँव को जाते लोग

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9 MAY 2018 AT 0:49

क़त्ल होता है हो जाने दो
कल मरता है उसे अभी ही मर जाने दो
जी भी लेगा तो क्या हासिल
मर कर ही चर्चे हो जाने दो

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13 MAR 2018 AT 15:14

"ये जंगल है"

अंधेरे ही अंधेरे हैं
शहरों की सुबह सबेरो में
अब ख़ुद से भी यहां कौन मिले
सूनी सड़क दुपहरों में

चलते गिरते फिरते सड़ते
दिल भी पत्थर हो जाते
गलियों में जब हम खो जाते

Read in caption

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17 FEB 2018 AT 12:38

चलते चलते ख़यालों में, बेरंग से नजारों में
गफलत में ,बवालों में
उलझा रहता हूँ बेबस सा कुछ सवालों में कि
क्या मुक़ाम मुश्क़िल होते हैं?

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