एक छोटी सी दूनियाँ में मैने कई जमाने देखे है
झुठा हर चेहरा है मैने अपनों में पराए देखे है
कहे कभी कोई हूँ मै तेरा
मुझे हँसी सी आती है
तुम हो सच में गर तो पढ़ लो ना
हर बात चीखी चिल्लाई ना जाती है
देखे है दिवारों ने वो आँसू भी जो हम हँस कर छुपाए बैठे है
झुठा हर चेहरा है मैने अपनो में पराए देखे है
वो जो जानती थी हद तलक़ मुझको फरिश्ता बन कर कहीं बैठी होगी
नम आँखे देख मेरी शायद बारिश बन कर उसकी आँखे बहती होगी
उसे खो दिया जबसे हमने हम खुद को भुलाए बैठे है
झुठा हर चेहरा है मैने अपनो में पराए देखे है
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