Aditi Trivedi   (Aditi trivedi)
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#राहकहाँलेजाएगी
कृष्ण भक्त
Not a writer...just write what i feel deep inside....
Joined 6 May 2020


#राहकहाँलेजाएगी
कृष्ण भक्त
Not a writer...just write what i feel deep inside....
Joined 6 May 2020
29 JUN 2022 AT 13:58

कश्मकश उलझन खालीपन है
अच्छा क्या है जिवन में??
झूठी हंसी झूठी खुशी
सच्चा क्या है जिवन में??
जीवनवृक्ष में बड़े तने की डाली है
रिश्ते नाते अपनापन
कट जाए जब ड़ाली ही
तो बचता क्या है जीवन में??

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21 OCT 2021 AT 22:42

बंद कमरे में किया था वादा खुद से मैने....
मै नही घबराऊंगी मुश्किलों से....
शायद दरारों में से सून ली थी ये बात उन मुश्किलों ने....
अब वो हर बार मुझे गले लगाने आती है....
और मैं हँस कर खुद से किए वादे का मान निभाती हूँ ....❣

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29 SEP 2021 AT 19:52

सुना था.....
खुशियाँ दरवाजा खटखटाती है आने पर
बस सुनने की ही थी देर रही....
मैने खुले रखे पट स्वागत में उसके
शायद बिना खटखटाए आना उसे स्वीकार नही.....

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14 JUN 2021 AT 18:47

मैं हर रात नींद के आगोश मे जाती हूँ
उस नन्हे से जादू की उम्मीद में
जो पढे है कहानियों में कई बार
और हर बार आँखे खुलते वही सच्चाई आती है सामने
टूटती है फिर उम्मीद फिर से होती है कहानियों की हार

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13 JUN 2021 AT 16:12

अपनो की कहानी का बेशक़ मैं एक सुलझा सा किस्सा हूँ...
खुद में गुम कहीं मैं अपनी ही कहानी का एक बेतरतीब हिस्सा हूँ...

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11 JUN 2021 AT 18:43

एक छोटी सी दूनियाँ में मैने कई जमाने देखे है
झुठा हर चेहरा है मैने अपनों में पराए देखे है

कहे कभी कोई हूँ मै तेरा
मुझे हँसी सी आती है
तुम हो सच में गर तो पढ़ लो ना
हर बात चीखी चिल्लाई ना जाती है
देखे है दिवारों ने वो आँसू भी जो हम हँस कर छुपाए बैठे है
झुठा हर चेहरा है मैने अपनो में पराए देखे है

वो जो जानती थी हद तलक़ मुझको फरिश्ता बन कर कहीं बैठी होगी
नम आँखे देख मेरी शायद बारिश बन कर उसकी आँखे बहती होगी
उसे खो दिया जबसे हमने हम खुद को भुलाए बैठे है
झुठा हर चेहरा है मैने अपनो में पराए देखे है

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11 JUN 2021 AT 18:15

मौत को भी मात देकर
ख्वाबों को साथ लेकर
ज़िंदगी तुझे हम भी जिएंगे

माना सफ़र धीमा है पर मंज़िल दिख रही है
तू थक सकता है हार नही सकता ये वो फुसफुसा कर कह रही है
ज़िद है तुझे पाकर हम रहेंगे
और याद रखना ज़िंदगी
जैसी सोची है हमने वैसी.... ज़िंदगी तुझे हम भी जिएंगे

आज हर पल में आँखे भर आती है
किसी की खुशी देख कर ये अपने गमों मे खो जाती है
पर आने वाले कल में हम बीते कल पर हसेंगे
और याद रखना ज़िंदगी
जैसी सोची है हमने वैसी.... ज़िंदगी तुझे हम भी जिएंगे

आज दिल से बोले शब्दों के मोल लगाए जाते है
जो खुल जाए समझ किसी को अपना वो पल कहकहे में उड़ाए जाते है
कल को वही कीस्से हमारी यादो में रहेंगे
और याद रखना ज़िंदगी
जैसी सोची है हमने वैसी.... ज़िंदगी तुझे हम भी जिएंगे

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5 JUN 2021 AT 23:03

हम इस क़दर संभले
की दूनियाँ समझदार समझने लगी
फिर किसी ने समझा ही नही उन हर्फ़ को
जो हँस कर छुप गए कहीं

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5 JUN 2021 AT 22:39

लिख रही हूँ ज़िंदगी को थोड़ा थोड़ा
या शायद
समेट रही हूँ उन भावनाओ को
जिस पर
वक़्त ने धुल की चादर पहना दि
और धूमिल हो गई वो भावनाएँ उस धूल में कहीं

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5 JUN 2021 AT 21:06

खुशियाँ खुदखुशी करती है हर रात
गवाह सिर्फ़ जिसका अंधेरा होता है
उम्मिदे हर सुबह भरती है जिस्म में जान
मुस्कान को ओढ़े फिर एक दिन शुरू होता है

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