Aditi Singh Bisen   (आवाज़)
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Joined 7 May 2020


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26 JAN 2022 AT 17:47

ऐ ज़िंदगी ज़रा सा धीमे चल,
मैं मुसाफ़िर हुं तेरे ही सड़क का
तेरी रफ़्तार पकड़ते-पकड़ते
अब थक गया हुं मैं,
अधमरा सा चलते-चलते
तुझसे यह कहते-कहते
अब थक गया हुं मैं
ऐ ज़िंदगी ज़रा सा धीमे चल।

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26 JAN 2022 AT 14:55

मतो में भेद हो तो भी एक बारी को सवर जाएगा
मगर मनों मे भेद हो जाए तो यह देश बिखर जाएगा

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4 JUL 2020 AT 22:35

उन जख्मों को फिर से हरा करेंगे
तुमसे मिलने का वायदा हम हर बार पूरा करेंगे

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7 JAN 2022 AT 22:08

उसने मुझे मंदिरो में ढूंढा
उसने मुझे नमाज़ो में ढूंढा
मैं यूं ना किताबों मे मिला
ना हि मैं बाजा़रो मे मिला
आलम ए सुकून हूं जनाब
मैं तो र्सिफ इमदाद हाथों को मिला

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31 DEC 2021 AT 22:10

सूरत में क्या रखा है जनाब
क्योंकि देखने में तो गुलाब भी गजब का कहर ढाता है
देखना ही है तो किसी की आंखो में देखिये
क्योंकि इनमे तो अनकहा अक्स भी नजर आता है

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6 NOV 2021 AT 20:59

एक वक्त में तो र्सिफ तुम्हारी बातों का ही जिक्र हो पाएगा
आखिर तुम्हारी हस्ती जो इतनी कमाल है कि
तुम्हें जानने में पूरे उम्र का त़काजा कम पड़ जाएगा

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21 OCT 2021 AT 14:58

जो दिखता है वो बिकता है
लेकिन जो लिखता है वो टिकता है

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3 OCT 2021 AT 21:04

साल गुज़र गया पर मानो लगता है
कि जैसे कल की ही बात हो
साथ ही थे सब फिर भी लगता है जैसे
कि अब बस खयाल ही पास हों

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26 SEP 2021 AT 23:13

मैं उस शायर की कलम दवात हूं
या मैं उसका अहसास हूं
स्याही के कंण कंण में बसती मैं
इक बड़बोली सी आस हूं

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7 SEP 2021 AT 20:29

मेरे दिल की गहराईयों में इक गहरा समंदर है
पर जनाब डूब जाने की अदा हर किसी में कहां होती है

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