Aditi Shankar Singh   (अditi " लकी")
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क्या करोगे जान कर?
Joined 9 September 2019


क्या करोगे जान कर?
Joined 9 September 2019
20 JAN 2022 AT 14:27

बहते हुए को साहिल का किनारा मिला।

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19 JAN 2022 AT 18:13

जिदंगी चलती है जैसे कोई रेल,
मिले जो दिल को कोई मेल,
हो जाये दिल यूँ ही फेल।

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1 DEC 2021 AT 15:20

गम को जो पीने आ जाये।

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1 DEC 2021 AT 15:18

Roller coaster rides.
Which take down in the dark lane of your memory ward.

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1 DEC 2021 AT 15:15

ख्वाब,जैसे अधूरे।

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1 DEC 2021 AT 15:13

जिसे पिरों दिया है मैनें,
तुम्हारी यादों की माला में।

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25 NOV 2021 AT 17:40

उसे,
मेरी भीगी पलकों का छाँव मिले।

करे याद जो वो मुझे तो,
उसके शहर में मेरी यादों के,
बरसात ना मिले।

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25 NOV 2021 AT 17:36

जैसे।

तम्हारी याद लिए शाम उतरती है,
आंखों में वैसे।

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22 OCT 2021 AT 20:41

उत्पीड़न भी,
विज्ञान के "mass of conservation " के नियम को मानता है।

जो,जितना उत्पीडित हुआ,
वो उसे स्वंय तक सीमित नहीं रखा ।
और ,
उस क्रिया को विज्ञान की ही भाषा में,
Mental disorder कहते हैं।

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14 OCT 2021 AT 23:52

कुछ सुबह यूँ ही होना चाहिए,दिन भर खुशियाँ समेटते रहो।
जब अपने प्रियजनो, बड़ों और छोटों का आशीर्वाद,प्यार समेटते हुए ,
आखें,मन और अंगुलियां खुशियों से झरने लगे।
अपनो का साथ ही इसे खुशगवार बनाता है,नहीं तो क्या है ही किसी एक दिन में या कैलेंडर में।
पता नहीं इतने प्रेम लायक हूँ भी या नहीं लेकिन स्नेह मिलने से खिल जाती हूँ।
आप सबका प्यार,दुलार और आशीर्वाद मिलता रहे,ये सिर नतमस्तक रहेगा,आभार रहेगा। आज,कल और हमेशा।

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