दूसरों से की गयी,
दूसरो पर की गयी,
ज्यादा उम्मीद
आपको अपने आप से दूर
बहुत दूर ले जाती है ।-
Stop to became more solicitude or benevolent to others....
It's only give you tortment-
क्या थी मैं, क्या हो गई
कहाँ थी , कहाँ पहुँच गई ।
खुश रहने खिलखिलाने वाली
चारो ओर लहराने वाली
कब बदल ली खुदको
कहाँ थी, कहाँ पहुँच गई।।
उम्मीदों की भर-भर आशा
कब आ पहुची ओर निराशा
क्या था जो बदल गया
सबकुछ बिखर सा गया
क्या थी मैं , क्या हो गई ।
समय रूकता नही , बदलता है हर पल
जीना भी होता है, ना चाहने पर
खो दी क्या खुद की महत्वा
सोचो देखो और खुद को जानो
क्या थी मैं , क्या हो गई
कहाँ थी मै,कहाँ पहुँच गई ।।
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सुन साथी दर्द की है क्या खता?
हमने खुद ही ढूंढा है उसका पता
हमारी दर्द-ए-दास्तां को बस यूं ही न समझा जाए,
चाहा बहुत मगर खुद ही किसी को ना समझा पाएं!!-
दर्द को दर्द अब होने लगा है,
दर्द अपने गम पे खुद रोने लगा है,
अब हमें दर्द से दर्द नही लगेगा,
क्योंकि दर्द हमको छू कर खुद सोने लगा है.-
दुनिया का दस्तूर....
हम जो होते हैं दुनिया को दिखाते नहीं
और जो हम नहीं होते हैं
वो बताते जरूर ।
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हां मुुश्किल तो है बहुत कुछ,
इस मायाबी दुनिया में पाने को,
कब तक मुस्कुराएं दर्द लिए,
बस निर्मोही दुनिया को दिखाने को!!!-
चलते चलते ऐ मुसाफिर,
निकल बहुत दूर न जाना,
उड़ोगे कितना भी मगर,
लौट के है ठिकाने ही आना!-
यदि आप एक घंटे की खुशी चाहते हैं
तो एक पल की झपकी ले
यदि एक दिन की खुशी चाहतें हैं
तो कुछ अलग करे
यदि एक साल की खुशी चाहिये
तो भाग्य से विरासत में ले
और यदि जीवन भर की खुशी चाहिये
तो लोगो की मदद करे।
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