Aditi Divyam   (Aditi Divyam)
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Finding myself
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Joined 26 May 2017


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24 SEP 2021 AT 23:41

मेरे सवालो का जबाब देने मे असक्षम
तुम
खैर छोड़ो,
" अ " मै और सक्षम तुम

लो सक्षम तुम्हारा
दहलीज तुम्हारी
लिखावट मेरी पर चीज़ तुम्हारी

असक्षम का अ मिटा रही हूँ
शब्दो मे लपेट तुमको मै लौटा रही हूँ

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20 SEP 2021 AT 10:30

ना प्यार है, ना जंग है
बस ख़्याल है, और रंझ है ।

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12 MAY 2021 AT 20:22

मानवता का उपहास उडा़ता मानव

खुद की जिम्मेदारी लेने से डरता , मुर्ख मानव
पीछे खडा़ परिवार भी क्या बोझ लगता है?

लाशो का टिला बन खडा है, गंगा किनारे
लाखों कि चोरी में कैसे डूबा रे मानव ?

व्यापारी मानव

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4 OCT 2020 AT 21:26

मालिक मेरे,
अगर अब चिता जले तो उस राख में बेटी ही मिले,
राजा बेटा से ही सारी कोख भरना
पुरुष प्रधान देश नही, दुनिया करना
एक एक
हर एक लड़कियों के जिस्म नोच खाओ
206 हड्डियों को 206 बार तोड़ डालो
ज़ुबान क्या है?
तुम रूह नोच डालो
लड़की शब्द अनजान बना डालो
तुम जितना चाहे खुद को बड़ा बना लो
खुदा करे तुम अपनी सारी भूख मिटा लो

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4 AUG 2020 AT 11:08

कुछ छाप ,
रंगों से भी गेहरे होते है,

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6 MAY 2020 AT 8:43

धर्म के शोर में
देश की बात कौन करता है।
भगवा और हरे की रंझ में
शहीदों की बात कौन करता है।
अमीरो के दौड़ में
गरीबों की बात कौन करता है।
लापरवाही के संदेश में
मिटते सभ्यता की परवाह कौन करता है।

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23 APR 2020 AT 22:58

सांस...
जीवन की पहली क्रिया
हम,ना तो कभी भीतर आती हवाओं पे नियंत्रण रखते,
और ना ही बाहर जाती हवाओं का अफसोस करते,
तो फिर लोगों के आवह-जाही पे मोह कैसा???

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18 APR 2020 AT 21:28

दिव्यम्

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11 APR 2020 AT 14:58

Jo chut gaye
aisa nahi ki wo yaar nahi,
Jo saath chale
aisa nahi ki wo yaar nahi,

Jinn se baat nahi hoti
aisa nahi ki unhe pyar nahi
Jinn se bat roz hoti
aisa nahi ki unhe pyar nhi

Yaha samaya ka takht hai
aisa koi iska akela shikaar nahi

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30 MAR 2020 AT 11:10

विपरीत
मैं विपरीत खडा़ हूँ
पीठ दिखा बेह चलने से क्या फायदा

बसंत की हवाओं के ,विपरीत खडा़ हूँ
मीठी हवा से मूँह फेरने से क्या फायदा

तुम्हारे सवालो के तर्क में डूबने के विपरीत खडा़ हूँ
जबाबो के बवंडर मे फसने से क्या फायदा

मैं तुमसे रंझ लेने विपरीत खडा़ हूँ
तुम्हरी सोच के हिसाब से ना ढलने से क्या फायदा

मैं विपरीत खडा़ हूँ
शायद इसलिए मैं बडा़ हूँ।

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