"काश"
सितारों की चाहत है चांद सा बनना,
और चांद को बनना सितारा,
नदियों को बनना है पत्थर सा बिल्कुल,
और पत्थर जो फूटे तो बन जाए धारा,
आंखों को होना है पुष्प के जैसा,
फूल भी कहते हम हो जाए आँखें,
पेड़ गिरे और बन जाए माटी,
मिट्टी को होना है पेड़ कोई,
धरती का मन है उठे आसमां में,
ज़मी को निहारे वो आकाश टक टक,
जागे हुए को भी सपने है प्यारे,
ख्वाब तो चाहे हक़ीक़त ही होना,
ग़ज़ल बनना चाहे कहानी सी एकदम,
कहानी को कोई ग़ज़ल सा सुनाए,
आग के शोले को आब प्रिय है,
पानी की चाहत है आग में तपना,
बस ख़ुदा जानता है हकीकत को वरना,
यहां इंसा तो चाहे ख़ुदा सा ही होना,
काश यह होता काश यह होता,
चाहती हर शय अपने सा होना।
- अदीब खान-
किसी का दिन हुआ है,
किसी की रात बाकी है ||
किसी को भोग छप्पन है,
किसी का भात बाकी है ||
- अदीब खान-
किसी का दिन हुआ है,
किसी की रात बाकी है ||
किसी को भोग छप्पन है,
किसी का भात बाकी है ||
- अदीब खान
-
इक तस्वीर हो साथ हमारी, तो ही गुज़ारा होगा,
अब जो बिछड़ेंगे हम तुम, फिर मुलाकात ना होगी ||
- अदीब खान-
मौन रहकर हमने कहानी बयां कर दी,
कहानी सुनकर बहरे भी दाद देने लगे,
ऐलान हुआ अर्श से अकेला राही जीतेगा,
ज़मी पे सब एक दूसरे का साथ देने लगे,
पेड़ो से नही पूछा पानी भी किसी ने,
तोड़ने फल को अपाहिज़ भी हाथ देने लगे ||
- अदीब खान-
मैं ख़ामोशी की आवाज़ सुनता रहा,
और पाया,
ख़ामोशी जब बोलती है तब शोर भी थम जाता है ||
- अदीब खान-
कुछ कहो, खामोश मत बैठो,
ज़ुल्म देखो, तो चुपचाप मत बैठो ||
सच पसंद है,तो इस्तकबाल है तुम्हारा,
झूठ के शागिर्द हो, तो हमारे साथ मत बैठो ||
- अदीब खान
-
मालूम है हकीकत हमे लेकिन,
अदाकारी देख रहे हैं कब तक चलेगी।
बेवफा ने किया है वादा वफा का,
मोहब्बत देख रहे हैं कब तक चलेगी।
जलते दियों का हौंसला देखो,
हवा देख रहे हैं कब तक चलेगी।
मर तो गए थे बिछड़ते ही उससे,
धड़कने देख रहे हैं कब तक चलेगी।
जिंदगी भर की दौलत कमाने वाले,
जिंदगी देख रहे हैं कब तक चलेगी।
- अदीब खान-
हिंदुस्तान का दिल हिंदी,
कबीर का खत हिंदी,
प्रेम की भाषा हिंदी,
पुष्प की अभिलाषा हिंदी ||
सोते हुए का ख्वाब हिंदी,
खुली आंखों का सवाब हिंदी,
कई सवालों का रूप हिंदी,
हर प्रश्न का जबाव हिंदी ||
भारत की गाथा हिंदी,
साहित्य का माथा हिंदी,
हृदय की करुणा हिंदी,
नव विचार की अरुणा हिंदी ||
हम सबकी पहचान हिंदी,
हिंद वतन की जान हिंदी,
क्रांतिवीर के संग थी हिंदी,
आज़ादी के बाद हिंदी ||
हम कहते है गर्व से हिंदी,
कल आने वाले लोग भी हिंदी,
मेरे वतन की आन हिंदी,
भारत देश की शान हिंदी ||
- अदीब खान-
कौन जागता है यहां मर्ज़ी से,
आंख खुलती है सभी की सूरज निकलने के बाद ||
वक्त रुकता नही किसी के लिए
ये समझ भी आया तो वक्त निकलने के बाद ||
जी रहें थे जब कोई पूछने वाला ही नहीं था,
रो रहे है सभी दम निकलने के बाद ||
बहुत मेहनत और मोहब्बत से सजाया तुमने आज को,
भूल जायेंगे सभी आज कल निकलने के बाद ||
हम जब तक है तब तक ही चलेगी दुनिया,
गुरूर टूटा ये रूह निकलने के बाद ||
सभी खुशियों की आस में है सोचा नही किसी ने भी,
क्या दुआ में मांगोगे गम निकलने के बाद ||
लश्कर में जा रहे थे किसी और रास्ते पर,
मंज़िल मिली हमे तन्हा निकलने के बाद ||
भाईचारा था शहर में गांव भी था खुशनुमा,
जल गए दोनो इलाके सुबह अख़बार निकलने के बाद ||
कौन बसता है धड़कनों में जानना चाहा सभी ने,
इक तिरंगा साथ निकला दिल निकलने के बाद ||
- अदीब खान-