सबसे मिल के भी हम अजनबी से रहे,
हमको अपनों ने अक्सर अकेला किया।।💯🖤-
कभी आरज़ू थी कि हर कोई जाने मुझे,
मगर अब तलब है कि गुमनाम ही रहूँ मैं।🖤🖤-
कुछ संबंधों का कोई भविष्य नहीं होता, ये मात्र,
स्मृतियों के रूप में साथ रहने के लिए ही जीवन में आते हैं।-
मोहब्बत का सफर मेरा
आखिरी है,
यह कागज कलम और गजल आखिरी है,
मैं फिर ना मिलूंगा कहीं ढूंढ लेना,
तेरे दर्द का ये असर आखिरी है...❤️🩹🖤-
जाने क्यों हर वक्त कुछ सोचता हूँ,
जो सामने नहीं,
उसी को हर रोज खोजता हूँ।
बदला-बदला सा हूँ मैं अब,
लोगों का कहना है,
पर क्या समझेंगे वो जो
बस बाहरी चेहरों का कहना है।
मैं तो जी रहा हूँ हर पल,
अपने ही अंदाज़ में,
शब्दों में चुपचाप,
दिल की आवाज़ में।
लगता होगा किसी को कि हूँ मैं मदहोश,
पर यकीन मानो,
मैं हूँ पूरे होश में-बस
कुछ ख्वाबों की परवाज़ में।
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प्यास लगी थी गजब की...
मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते
और ना पीते तो भी मर जाते...
बस यही दो मसले,
जिंदगीभर ना हल हुए..!
ना नींद पूरी हुई,
ना ख्वाब मुकम्मल हुए..! वक़्त ने कहा.....
काश थोड़ा और सब्र होता..!
संब्र ने कहा....
काश थोड़ा और वक़्त होता..!
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि,
जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता...
महादेव ❣️-
ये आज फिजा खामोश है क्यों,
हर जरें को आखिर होश है क्यों?
या तुम ही किसी के हो न सके,
या कोई तुम्हारा हो न सका।'
'मौजें भी हमारी हो न सकीं,
तूफाँ भी हमारा हो न सका!"
उपन्यास (गुनाहों के देवता) से-
कभी-कभी ज़िंदगी इतनी शांत लगती है, जैसे सब कुछ रुक सा गया हो... पर अंदर एक हलचल सी होती है, जिसे ना कोई देख पाता है, ना समझ पाता है। हम हंसते हैं... क्योंकि रोने का वक़्त नहीं मिलता।
हम चलते हैं... क्योंकि रुकने से डर लगता है।
हर दिन एक बोझ की तरह गुजरता है, ना खुशी का एहसास, ना किसी अपने की आवाज़।
बस एक खालीपन है, जो हर रोज़ थोड़ा और बड़ा होता जा रहा है।
और हम... उसी खालीपन में खुद को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कोई कहानी अधूरी रह गई हो...
और किरदार उसे बिना समझे निभा रहा हो।
महादेव ❣️-