रंग-यादों के
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नहीं लिखता कुछ खास मैं,
बस लिख... read more
मैंने सुधा को ज़हर होते देखा है,
हाँ मैंने गांव को शहर होते देखा है।-
बस एक छोटी सी ख्वाहिश है मेरी,
वो तबीयत से कभी मेरी तबीयत पूछ लेते!-
दर्द तो इतना था कि रो भी ना सके,
मेरा गम फिर भी उनको कम लगा ।
अल्फाजों में इतना वजन होता है क्या?
भारी दिल को सम्भालने में बहुत दम लगा ।
ये वहम है मेरा या फिर शौक है उनका,
जो हर दिल तोड़ने वाला मुझे मेरा ही सनम लगा ।
और इश्क के घाव की गहराई तो तब पता चली,
जब ये नमक भी मुझको मरहम लगा ।-
भले ही अतीत का एक छोटा सा किस्सा बना लो,
मग़र सुनो ना!
मुझे भी अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बना लो...-
लबों को खामोश रख कर,
आँखों में खामोशी की आवाज़ छुपा रखे हो;
अक्सर बात करतीं हैं आँखें तुम्हारी,
इनमें ना जाने कितने राज छुपा रखे हो।-
बेशक एक टूटा हुआ सितारा हूँ मैं,
मगर फिर भी कईयों की ख्वाहिशों का सहारा हूँ मैं,
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कुछ लोग कहते हैं कि तू सिर्फ प्यार लिखता है,
अब क्या करूँ, जब हर जगह मुझे सिर्फ प्यार दिखता है।-
इन चमचमाती हुई सड़कों का दिलासा ना दो साहेब,
जहाँ बहन-बेटियाँ हों सुरक्षित वो गली बता दो...
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दिल का भोला हूँ, नियत मेरे साफ रहते हैं,
इतनी सी खूबी है,पर बहुत से लोग खिलाफ रहते हैं।-