अपनी बेकार तमन्ना के शजर काट रहे हैँ
अकेले पड़े हैँ वहसत मे हिज्र काट रहे हैँ
कोई जी रहा हैं अपनी पसंदीदा ज़िन्दगी
और कोई ज़बरदस्ती अपनी उम्र काट रहा हैं-
الفراق أشد من الموت
सुखन लिखता हूँ लफ़्ज़ों से मुरीद करता हूँ,
नया शायर हूँ ... read more
"नदी खारे समंदर के लिए जज्बात से तर है,
समंदर को पता है ये नदी का वो मुकद्दर है.
वफा और बेवफाई की मिसालें है यही दोनों,
समंदर की कई नदियां नदी का एक समंदर है-
चलने के लिए जब खड़े हुए तो जूतों की जगह पैरों में सड़कें पहिन ली एक नहीं दो नहीं बदल बदलकर हजारों सड़कें तंग ऊबड़ खाबड़ बहुत चौड़ी सड़कें । खूब चलें कि ज़िन्दगी के नजदीक आने को बहुत मन होता है वाकई ! ज़िन्दगी से होती हुई कोई सड़क जरूर जाती होगी-मैं कोई ऐसा जूता बनवाना चाहता हूँ जो मेरे पैरों में ठीक-ठाक आए।
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Teshe baghair mar na saka kohkan “asad”
Sargashta-e-khumar-e-rasum-o-quyud tha
Farhad to teshe ki jarurat kyu padi apni jaan dene k liye
Uski jaan to ye sun kar nikal jaani chahiye thi ki shirin ne apni jaan de di-
ay gardish-e-ayam hamey ranz bahot hai
kuch khwaab the aaisy jo bikharne ke nhi the
dukh ye hai ki mere yousuf-o-yaqqob k khaliq
wo log bhi bichdey hai jo bichadne k nhi the-
17 की उम्र से हैं सफ़ेद बाल मेरे मुझसे मत पूछो हाल मेरे
अच्छा लगता हैं आईने से बात कर के बहुत मिलते हैँ उससे ख्याल मेरे
बचपन से तलब हैं जन्नत की और ज़हन्नुम के हैँ अमाल मेरे
कम उम्र मेरी और ये धुवे का शौक यार सिगरेटो ने कर दिए बुरे हाल मेरे
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कब डसेगा बता नहीं सकता कोई
बड़ा तेज़ हैं हर लम्हा अपनी चाल बदलता रहता हैं
बात तो तब हो जब बदले अपना हाल
साल का क्या हैं ये तो हर साल बदलता रहता हैं-
आख़री शाम दिसंबर की मेरे सर पे हैं
हाथ मे फ़ोन हैं सर पे कोई पत्थर हैं-