अब वो पुरानी बात नहीं है,
अब तेरा हर बात पर busy हो जाना,
हर नयी शिकायत पर नए बहाने बना लेना,
अब कर सके जाहिर जज़्बात वो पुरानी रात नहीं है,
अब वो पुरानी बात नहीं है।
छोड़ ही तो रहा है तू धीरे धीरे,
तोड़ रहा है दोस्ती तू धीरे धीरे,
इस सफर में हाथ में जो तेरा हाथ नहीं है,
अब वो पुरानी बात नहीं है।
कहां गया वो तेरा बात बात पर मुंह फुला लेना,
नई नई खुदकी तस्वीरों की तारीफे करना,
कह तो दिया ही है सिर्फ गलतफहमी है,
और कोई अलग बात नहीं है,
अब वो पुरानी बात नहीं है।
अब रख सकूं दिल के फूल को तुझमें,
अब वो तू पुरानी किताब नहीं है,
अब वो पुरानी बात नहीं है।- ठाकुर
4 JUN 2019 AT 12:31