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Adarsh Shubhanshu Dhakad
(Adarsh shubhanshu dhakad)
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Joined 26 September 2019
1 OCT 2021 AT 20:03
मन्दिर के दिये जैसी ही है यादें तुम्हारी।
बुझाना भी चाहूँ तो लोग फिर से जला देते हैं।।
❤️❤️❤️-
26 NOV 2020 AT 7:26
आँखे पढ़िये और समझिये हमारी रजा क्या है..
हर बात लफ्जों मैं कह दे तो मजा क्या है..।।
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21 NOV 2020 AT 8:40
मरने वाला क्यों मरा इसकी चिंता नहीं होती।
कब इसे लेकर जाना है यह चिंता होती है।।-
18 NOV 2020 AT 9:10
कितने बेबस है हम तेरी चाहत मैं।
तुझे खोकर भी अब तक हम तेरे हैं।।-
2 OCT 2020 AT 13:14
आज तक जहाँ तुम पहुँचे ही नहीं...
किताब का मैं वो आखिरी पन्ना हूँ...।
❤❤❤
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26 SEP 2020 AT 11:15
मैं हैरान हूँ कि मैं खुद से कैसे बिछड़ा।
मेरे अंदर तो मेला भी नहीं है।।
❤❤❤-