Adarsh Shrivas   (अनादि)
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Joined 24 February 2018


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16 JUN 2022 AT 1:25

एक रात उलझन से किनारा हुआ
और कागज़ ने
मेरा दुख बाँट ही लिया..
जब उस आखिरी चिट्ठी से
मैने उसका नाम
काटा, लिखा..
और फिर काट ही दिया।।

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24 JAN 2022 AT 1:04

मेरी अंधेरी शाम में तेरी दिए बुझाने की कोशिश..
ओ दिए बुझाने वाले, मैं अब सूरज पर रहता हूं।।

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12 AUG 2021 AT 23:51

मंज़िल की ओर निकले हो? मेहनत,लकीर
साथ रख लो..
अकेला न लगे कहीं सफर में, कुछ तस्वीर
साथ रख लो..
रास्ता लंबा भी हो सकता है और कठिन भी,
कठिनाइयों से हार न मान लो, अपना मन धीर
साथ रख लो..

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28 JUL 2020 AT 9:37

लगे हों लोग तुम्हें तिनके चुभाने में जब,
तुम वृहद सा कोई वृक्ष क्यों नहीं हो जाते...
घमंड करे वो अपने उल्का होने की अगर,
तुम पूरा का पूरा अन्तरिक्ष क्यों नहीं हो जाते..

- आदर्श

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28 JUL 2020 AT 3:47

लगे हों जब लोग तिनके दूब में कहीं,
तुम वृहद सा कोई वृक्ष हो जाओ...
गुरूर करे वो अपने उल्का होने की,
तुम पूरा का पूरा अन्तरिक्ष हो जाओ...

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28 APR 2020 AT 3:12

मै ताजमहल , मुमताज़ तू मेरी
मै तेरे लिए हूं , पर तेरा कहां ?

- आदर्श

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26 SEP 2019 AT 17:40

दोबारा सोच ही लो..
ज़िन्दगी उतनी खराब है ?
जितना हम सोच बैठे हैं..

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26 SEP 2019 AT 0:19

दिल की बाते कह देनी चाहिये
पर बुरा मानने का दौर जो चला है
डर है कोई बुरा मान ही न ले..

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26 SEP 2019 AT 0:10

जब जमीन ऊंची हुई मेरी
पैर जमीन पर ही थे और
आसमा हाथ आने लगा

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26 SEP 2019 AT 0:05

तू सामाजिक
अलग विचार मेरे तो मैं
असामाजिक क्यों..

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