पहले सिर्फ बातों से मतलब हुआ करता था,
खैर अब सिर्फ मतलब की बातें रह गई हैं
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किसी को अपना बताने में और
किसी को अपना बनाने में फ़र्क़ होता है ।-
कितना फ़र्क़ है हम दोनो की चाहत में
मुझे तुम्हे याद करने से फ़ुर्सत नहीं
और तुम्हें मुझे याद करने के लिए फ़ुर्सत नहीं।-
बिछरते हुए भी उसने दबा के पकड़ा हाथ मेरा
इतना अच्छा लगता था उसको साथ मेरा
सब बेवफ़ा नहीं होते मजबूरियाँ भी होती है,
वो शक़्स एक ही था मगर था खुदा मेरा...।
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अक्सर जीन लोगों की ग़लतियों
से भी आप मोहब्बत करने लगते है
एक समय बाद वही लोग आपको
फ़ालतू समझने लगते हैं..।।-
जिनसे कभी बातें ही
ख़त्म नहीं होती थी
उनसे बातें ही ख़त्म
हो गयीं।-
अगर कोई आपसे दूर जाना चाहता है
तो जाने दो,
क्यूँकि रिश्तों में प्यार अच्छा लगता है
भीख नहीं...।-
नज़दीक तो बहुत लोग आए
लेकिन तुम सा ही शायाद कोई
क़रीब आया हो मेरे...।-
एक दर्द है जो मुझे जीने नहीं देता ,
दिल सब्र कर जाता है मुझे रोने नहीं देता,
मैं सिर्फ़ उसका हूँ ये राज वो जान चुकी हैं,
मगर वो किसकी है यें सवाल मुझे सोने नहीं देता ..।
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