सबके घर में खुशियां आए और घी की बाती हो ,
दीपक हम जरूर खरीदें अपने देश की माटी हो।
खरीदारी उन्हीं से करेंगे जो त्यौहार मनाएंगे ,
ऐसी सुंदर बेला में गर्वित भारत मां की छाती हो।
- आचमन चित्रांशी-
अब तो मै अंगार लिखूंगा।
- आचमन चित्... read more
झूठ का सूरज डूब गया है ,
हो गई अब तो शाम है।
जिसने मारा मन के रावण को ,
उसी के मन मे श्रीराम है।
- आचमन चित्रांशी-
जिनके घर मे आ जाने से ,
इतनी सारी खुशियाँ छाई है।
ऐसा तो कोई और नही है ,
मेरी शेरों वाली महामाई है।
- आचमन चित्रांशी-
झूठी सच्ची बात नहीं वह बात अलग सी होती है ,
धूल भरी आंधी के बाद फिर रात अलग ही होती है।
थक हार कर फिर जब हम दर पर साईं के जाते हैं ,
तब मेरे शिरडी वाले की करामात अलग सी होती है।
- आचमन चित्रांशी-
देश पर हुए बलिदानों की याद आ गई ,
दिन ढ़ल गया तभी तो यह रात आ गई।
जब देश पर मर मिटने की बात आ गई ,
जंग लगी बंदूक भी हमारे साथ आ गई।
- आचमन चित्रांशी-
असली मजा तो तब है -
जब लोग आपको आपके नाम से ही डराने लगे।
- आचमन चित्रांशी-
देश की सभी माताओं के चरणों में मेरे द्वारा कुछ पंक्तियाँ समर्पित कर रहा हूँ -
मां आप पर मैं क्या लिखूँ ,
आपने मुझे लिखा है।
हम लेखक नही है ,
फिर भी शब्द संजोकर लिखते है।
मां आप मे मुझे ,
सदैव ईश्वर ही दिखते है।
हम ने भगवान को है नही देखा ,
पर आपको रोज देखते है।
ईश्वर की क्या बात बताएँ ,
ईश्वर के साथ हम रहते है।
मां से हम क्या बोले ,
वो बिन बोले सब समझ जाती है।
माँगो मां से एक रोटी ,
वो दो लेकर आती है।
अंत मे मैं यही काम करता हूँ ,
देश की सभी माताओं के चरणों में प्रणाम करता हूँ।
- आचमन चित्रांशी
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आँधी_तूफानों_मे_मजबूत_पेड़_गिरा_नही_करते ,
झूठ_के_साथी_सच्चे_लोगों_से_मिला_नही_करते।
- आचमन चित्रांशी-
कुछ_लोग_हो_गर_बुरे_तो_कोई_अच्छा_भी_होना_चाहिए ,
सब_हो_जाए_गर_झूठे_तो_कोई_सच्चा_भी_होना_चाहिए।
- आचमन चित्रांशी-
कुछ लोगों को मेरा किरदार आज भी पसंद नही है ,
ऐसे बुरे लोगों को फिर भी खुद पर घमंड नही है।
- आचमन चित्रांशी-