देश की सभी माताओं के चरणों में मेरे द्वारा कुछ पंक्तियाँ समर्पित कर रहा हूँ -
मां आप पर मैं क्या लिखूँ ,
आपने मुझे लिखा है।
हम लेखक नही है ,
फिर भी शब्द संजोकर लिखते है।
मां आप मे मुझे ,
सदैव ईश्वर ही दिखते है।
हम ने भगवान को है नही देखा ,
पर आपको रोज देखते है।
ईश्वर की क्या बात बताएँ ,
ईश्वर के साथ हम रहते है।
मां से हम क्या बोले ,
वो बिन बोले सब समझ जाती है।
माँगो मां से एक रोटी ,
वो दो लेकर आती है।
अंत मे मैं यही काम करता हूँ ,
देश की सभी माताओं के चरणों में प्रणाम करता हूँ।
- आचमन चित्रांशी
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