उस चुम्बन में,
सांसों की उष्णता महसूस हो।
उस चुंबन में,
दिल की बेचैनियां शांत हो।
उस चुंबन में,
घड़ी की कांटे रुक जाए मानो!
उस चुंबन में,
करीबी को और पास ले आए हो
ऐसा महसूस हो।
उस चुंबन में,
सिर्फ होठों से होंठों की छुयन न हो...-
पत्थर से तोड़ा करते हैं
कांच सा दिल यहां हर कोई।
दिल लगाने से,
शायद घबराते हैं, शायद डरते हैं,
हर कोई।-
गुब्बारों में उड़ा देते हैं
एक एक परेशानियां।
अरे, दिल को थोड़ा
गुदगुदाओ तो ज़रा,
एक बार खिलखिला कर
हंस दो न.. please...-
शाम की पर्दों तले
छिपा तो बैठा मैं इन
अश्कों की बुंदों को,
आसमां बरस पड़ा!
भींगो गया, दिल की
ज़मीन को।-
कुछ मंत्र को उच्चारण से बंधा ये रिश्ता,
बस कुछ मंत्र के नही है!
न ही किये गये कुछ वादों से ये रिश्ता है!
ये रिश्ता है एक दुजे को अपनाने की,
छोटी छोटी गलतीयो को नजरंदाज कर
इधर उधर, हर तरफ बसा खुशीयों को
तलाशना है ये रिश्ता।
उस समझोते की, जो समझौते नहीं है
होते हैं एक दुसरे के प्रति परवाह करना!
प्यार को धीरे-धीरे पनपे देना, रोज़ रोज़
प्यार में पढ़ना है ये रिश्ता।
एक दुजे की भिन्न ख्यालों को सम्मान करना है
ये रिश्ता,
कभी कभी कुछ भिन्नता अपना लेना भी
है ये रिश्ता।
नोक, झोंक हंसी मज़ाक़, हर तरह की ज़ायके से
सजी ये रिश्ता,
जितनी पवित्र है और उतनी ही अटूट।
बस! कुछ मंत्र उच्चारण से नहीं बनते ये रिश्ता,
जब दिल बस जाएं एक दूसरे में, तब
बांधती है ये रिश्ता।
।। यदिदं हृदयं मम तदस्तु हृदयं तव ।।-