Abu Talha   (Kalam)
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Joined 10 January 2024


Joined 10 January 2024
15 JAN AT 11:28

तुम क्या मेरी मेरे अल्फाज़ की कीमत जानो
गर ना मानो तो एक पल के लिए 'मैं' होकर देखो

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14 JAN AT 8:15

उज़्र हज़ार हो गए सच आशकार है
अब कह दे ऐ "कलाम" बेवफा हो तुम

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13 JAN AT 11:28

तुझे बर्बाद करने का नया समान आया है
खुली चमड़ी से ऐ नादां बड़ी शमशीर क्या होगी

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13 JAN AT 10:36

गर चाहत है तो उस चाहत का तुम इकरार कर लो ना
मुझे भी इश्क है तुमसे ज़रा बर्बाद कर दो ना

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13 JAN AT 9:56

वफ़ा क्या है? वबा है इक
जो हर आशिक से चिपटी है
मगर हैरान हूं मैं इश्क तो वो भी कहते हैं करते हैं
तो फिर क्यूं बेवफाई उनके दमन से जा लिपटी है

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11 JAN AT 23:13

खुद को संवारने में सालों लगे 'कलाम'
लोगों ने एक नज़र में औकात नाप ली

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11 JAN AT 22:55

वो शाम सुहानी थी लेकिन,
कुछ मौसम बदला बदला था,
कुछ इश्क की ख़ुशबू फ़ीकी थी,
कुछ चेहरा बदला बदला था,
अरमान की चादर लंबी थी,
रुख उनका बदला बदला था,
हर लफ्ज़ बगा़वत था उनका,
कुछ लहज़ा बदला बदला था,
हैं ये आखिरी लम्हे याद मुझे,
कुछ अश्क़ बहे,कुछ दिल टूटा,
फिर वक्त हमारा भी बदला,
हर शख़्स ही बदला बदला था,
एक दिन मौसम फिर बदला,
रुख उनका फिर से बदला था,
पर अफ़सोस, इस मुद्दत में,
अब मैं भी बदला बदला था।

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