वो शाम सुहानी थी लेकिन,
कुछ मौसम बदला बदला था,
कुछ इश्क की ख़ुशबू फ़ीकी थी,
कुछ चेहरा बदला बदला था,
अरमान की चादर लंबी थी,
रुख उनका बदला बदला था,
हर लफ्ज़ बगा़वत था उनका,
कुछ लहज़ा बदला बदला था,
हैं ये आखिरी लम्हे याद मुझे,
कुछ अश्क़ बहे,कुछ दिल टूटा,
फिर वक्त हमारा भी बदला,
हर शख़्स ही बदला बदला था,
एक दिन मौसम फिर बदला,
रुख उनका फिर से बदला था,
पर अफ़सोस, इस मुद्दत में,
अब मैं भी बदला बदला था।
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