आज यहाँ बारिश हुई,
मिट्टी की ख़ुशबू ने तुम्हारी याद दिला दी,
जैसे धूप से तपती ज़मीन पर
पहली बूँदें गिरती हैं,
और हर तरफ़ महक और ठंडक बिखर जाती है।
ठीक वैसे ही तुम हो मेरी ज़िंदगी में,
सुकून भी, और सौंधी सी ख़ुशबू भी।
- अभिषेक मद्धेशिया-
Instagram- @absk_maddy
पिताजी,
आज मैं यहां खड़ा हूँ और सोच रहा हूँ कि आपको बताऊं कि कितना आपका आभारी हूँ। आपने मुझे न सिर्फ जीवन के बारे में सीखाया है, बल्कि मेरे सपनों की प्रेरणा भी दी है। आपकी ममता, संघर्ष और समर्पण ने मुझे एक अच्छे इंसान बनाया है।
आपने मेरे सभी गलतियों को समझा और मेरे जीवन की दिशा में मुझे आगे बढ़ाने के लिए मेरे साथ खड़े रहे। आपने मेरे सपनों को सपनों में नहीं बल्कि हकीकत में बदलने की प्रेरणा दी है। मैं अपने जीवन के हर पल में आपकी मदद और समर्थन को महसूस करता हूँ।
आपका साथ, समर्पण और संघर्ष मुझे जीवन की वास्तविक मूल्यों का एहसास कराया है। आप हमेशा मेरे लिए एक आदर्श पिता रहेंगे और मैं हमेशा आपका आभारी रहूंगा।
आपकी प्रेम और समर्पण के लिए आपका आभारी बेटा-
दुनिया करेगी लाख बात तुम्हारे बारे में,
कुछ अच्छी,कुछ बुरी,तुम सुनना और
मुस्कुराकर कहना,वक्त बतायेगा।
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लाख समझाने पर भी वो ना समझे, हम ने इशारे बदल दिए,
हो गए थे चर्चे बहूत, हम ने ठिकाने बदल दिए।-
चल मान लिया गलती मेरी है, मंजूर जो भी तुम सजा दो,
हम क्या है तेरे आदत, शौक़ या जरूरत बस इतना हमे बता दो।-
सितारों से भरे आसमान में वो चाँद सी है,
थोड़ी चंचल,मासूम छोटे बच्चे की मुस्कान सी है,
जिसे सुनने के लिए तरसे कोई ऐसी एक अज़ान सी है,
थके मुसाफिर के लिए इक ढलान सी है,
नाउम्मीद के रेगिस्तान में, एक उम्मीद से भरे मकान सी है,
किसी किताब का सार सी है..
बेसुर जिन्दगी में पायल की मधुर झंकार सी है,
तलवार की तीखी धार सी है,
बारिश की पहली फुहार सी है
फिलहाल तो महज़ इक यार सी है...
ढूंढ रहा एक अरसे से कहीं न कहीं उस प्यार सी है |-
शब्दो की कमी हैं, कलम रुक रही है, दर्द कम होने लगा है,
बस फिर एक बार ये दिल तोड़ने के लिए आजा,
फिर एक बार छोड़ने के लिए आजा।-
क्यों बैठा है गुमसुम अकेला?
सुन इधर आ बैठ निकट,
कुछ आगे की बात करे,
छोड़ के चिंतन भूतकाल का,
एक और नई हम राह चले।-
ध्यान हमारा धनुष है,
इद्रियों की दृढ़ता गांडीव है,
ध्यान करने वाला अर्थात
मनुष्य अर्जुन है, ये संसार कर्मभूमि,
हमे युद्ध करना है आलस्य, काम,
क्रोध और नकारात्मक विचारों से,
विजय पाना है स्वयं पर।
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