एक चिट्ठी जो तूने कभी लिखी ही नहीं,
मैं रोज बैठकर उसके जवाब लिखता हूं
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लिखने की सोचूं, तो कलम न मिले,
तेरे जख्मों का कोई मरहम न मिले
किस्मत में हो तो मिलता है प्यार
वरना वफा के नाम पे सिर्फ बेवफाई मिले।
दिन ढल जाए पर चैन न मिले
इस कश्मकश से बैर न मिले
ढूंढू तुझे तो मिले कफन
एक पल का सुकून न मिले।
रात आए पर चांद न मिले
सांस आए पर आह न मिले
ढूंढू तुझे तो मिले कब्र
मेरे दर्द को रिहाई न मिले।।-
तलाश पूरी हो गई है नींद की
अब रात का इंतजार रहेगा नहीं
न रूह में सांस रहेगी
न सांसों में तेरी खुशबू
अपनी रातों से किश्ते
चुका दी है उधार की
अब चैन से सोने की तैयारी
कर चुका हूं आखरी सांस की
तड़प भी हो तो मंजूर है अब
बस आंखें बंद करू तो नींद आ जाए
फलक (heaven) मिले या मिले डोजक (hell)
बस ये नींद अब ना टूटने पाए-
जाते हुए भी उसने, लबों से लब लगाया था
दरवाज़े पर खड़े होकर, सीने से मुझे लगाया था
मेरे हाथों को थामके, कंधे पर सर रखती थी
I love you Abrix, वो भी यही कहती थी।।-