मोहल्ले में आज भी तुम्हारे मकान के नीचे रोज़ चाई पीता हूँ
बस यही सोच के की शायद तुम बाल्कनी पे आओगी और एक झलक तुम्हारा देख सकूँ
लेकिन वही चाई वाला जब पूछते है
“साहब आज इतने साल हो गए वो तो किसी और की हो गयी आप फिर भी यहाँ रोज़ आते हो?”
तब मुस्कुराके बोलता हूँ
“उसकी ख़ुशबू आज भी यहाँ है, और हाँ कभी आए और मैं नहीं आया तो बता देना कौन आया था”-
हमें ना डर बंदूक़ की
हमें ना डर तलवार की
कफ़न सर पे बांध के निकले थे
दिल हथेली पे सजाकर चले थे तुम्हारी गली
मौत तो बहुत पहले आ चुकी थी
बस दफ़ना ना बाक़ी है-
वक़्त ने बहुत कुछ सिखाया है मुझे
हाँ बस यह नहीं सिखाया - टूटे हुए दिल की दर्द का क्या करूँ
शायद इसी वजह से आज तक वक़्त ने मुझे अकेले जीने के लिए मजबूर कर दिया था
शायद वक़्त को पता था की मैं टूट के बिखर जाऊँगा
वो तो मैं था जो वक़्त को कोस रहा था
पर जाके जब सिख मिली है
फिर से अकेले जीने लगेंगे
फिर से अपनी तन्हाई से इश्क़ फ़रमाएँगे-
मैं नहीं रहा तो क्या हुआ
बस यूँ समझ लेना की मैं तुम्हारे लायक़ नहीं था
तुमसे किया हुआ शायद ही कोई वादा पूरा किया है मैं ने
बस यूँ समझ लेना की इंसान झूठा था
तुमसे कुछ माँग सकूँ इतनी औक़ात नहीं मेरी
बस तुम्हारे चेहरे पे मुस्कान देखने की आख़िर ख्वाहिश है मेरी-
मैंने तो अपना सब कुछ मान लिया था तुम्हें
पर शायद , मैं कुछ नहीं बन सका तुम्हारे लिए
कमी तुम्हें नहीं कमी मुझ मे थी
शायद इसीलिए कुछ बन ना सका हम दोनो के बिछ बात
अगर कभी राह चलते तुमसे मुलाक़ात हुई
इतना भरोसा रखो की रास्ता नहीं काटूँगा
बस हो सके तो एक मुस्कान दे देना-
जो दर्द तुम ने मुझे दिया है
ख़ुदा ना करे वो तुम्हें कभी सहने पड़े
अगर गलती से इस दर्द का १% भी सहने पड़े तो अपने करम को याद कर लेना सारे सवाल के जवाब ख़ुद ब ख़ुद सामने आजाएँगे-
तुम ने अपना वजूद जिसे जोड़ रखा है एक दिन वही तुमसे तुम्हारी पहचान छिन लेगा
तब मत पूछना मुझे मै कहाँ था जब यह सब हो रहा था-
तुम ने मेरी हर बात को बदल ना चाहा
तुम ने अपने हिसाब से शर्तें रखी
तुम सही और मैं गलत
तुम ने जो दुनिया देखी है वो बहुत रंगीन है
असली दुनिया वैसी नहीं जो तुम सोच रही हो
वक़्त आने पे तुम्हें एहसास होगा तुमने क्या किया है-
दर्द का पता क्या पूछ रहे मुझसे
दर्द को हर पल बाहों में साथ लेके चलता हूँ
दर्द ही एक जो फ़रेबी नहीं निकला
सच्चा दोस्त है मेरा- दर्द
उससे क्या पता झूट क्या फ़रेब क्या
वो तो बस मेरे नसीब का हिंसा है-
दर्द देते रहो यूँही
फ़रेब करते रहो यूँही
हम ने झूठी मुस्कान देना सिख लिया है
अब मैं भी मुस्कुराता रहूँगा यूँही-