ख्वाईशहो के शहर में उस से यूँ मुलाकात हुई, यूँ ही नहीं, ना इत्तेफाक हुई, हाँ खुदा ने तय की ये बात हुई। अक्सर घुम हो जाते हैं उस में, अब ये गुनाह भी रंगीन हुए। सारे पर्दे हट से गए की, हम और उन के करीब हुए। बस कदमों का फासला रह उन से, हाँ रूह में उन के, हम अब शरिक हुए।
He is drifting in her, He can't expressed. She touch his soul, He can't admitted. He read her mind, She read his heart. He hold her feeling, She catched his emotions. Afterwards he walked with her on the road, but she walked in his heart. Both are consist no one wrong. But when love started they both were fail.
ख्वाईश सी हो रही हैं तुझ में सिमट जाने की, बंद आँखों में तेरी तस्वीर है, जहन सोचता ही रहता है, की कितना सोच में हैं तू, जब तू पढले लबों को मेरे, तू पढ लेता है हर दर्द को मेरे।
किसी आजिज ने पुछा, तुम शायर ऐसा क्या लिखते हो, जो दुनियाँ दीवानी हैं तुम्हारी? हम ने भी बड़े लहजे में जवाब दे दिया, हम जिंदगी को मौत से गुज़रकर लिखते हैं। हम मोहोब्ब़त को टुटकर बिखरकर लिखते है, हम हर दर्द का मर्म सोचकर लिखते हैं। कलम की शाही से कम पस लब्जो़ में डुबकर लिखते हैं,हम शायर है जनाब, जिंदगी को जिंदगी में गूंथकर लिखते है।