Abigail Robert   (Abigail Robert)
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I m a book of my writer!
Joined 17 October 2019


I m a book of my writer!
Joined 17 October 2019
19 SEP 2022 AT 11:40

ख्वाईशहो के शहर में उस से यूँ मुलाकात हुई,
यूँ ही नहीं, ना इत्तेफाक हुई,
हाँ खुदा ने तय की ये बात हुई।
अक्सर घुम हो जाते हैं उस में,
अब ये गुनाह भी रंगीन हुए।
सारे पर्दे हट से गए की,
हम और उन के करीब हुए।
बस कदमों का फासला रह उन से,
हाँ रूह में उन के, हम अब शरिक हुए।

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17 SEP 2022 AT 14:10

When your thoughts in the form of Quotes interact with others and it leaves an impression of recovery that is a great achievement in your lives.....

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17 AUG 2022 AT 12:56

He is drifting in her,
He can't expressed.
She touch his soul,
He can't admitted.
He read her mind,
She read his heart.
He hold her feeling,
She catched his emotions.
Afterwards he walked with her
on the road, but she walked in
his heart.
Both are consist no one wrong.
But when love started they both were fail.

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16 AUG 2022 AT 13:54

लिखने की ख्वाईश तो बेहद होती हैं मुझे,
तेरी तारीफ़ हर दफा,
पर डर लगता हैं, कही तू भी ना बदल जाए,
औरों की तरहा।

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4 AUG 2022 AT 21:48

ख्वाईश सी हो रही हैं तुझ में सिमट जाने की,
बंद आँखों में तेरी तस्वीर है,
जहन सोचता ही रहता है,
की कितना सोच में हैं तू,
जब तू पढले लबों को मेरे,
तू पढ लेता है हर दर्द को मेरे।

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21 JUL 2022 AT 12:11

नब्ज धीमी चलती हैं,
तबीयत के उसके नासाज होने से,
वो सुकून है नज़र-ओ- जहन का,
उसे पता भी नहीं।

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19 JUL 2022 AT 14:10

Band alfaazon me tasveer tumhari hai,
Tu Kitab hai aur rhenga hamesha
Padkar dekhle ey insaan ye likhawat se bhi bahot Bhaari hai.....

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17 JUL 2022 AT 11:56

तुझे छू लिया हैं, नज़रो से रूह तक,
मुझे हाथों कि जरुरत कहाँ।

उम्दा ख्याल हैं तू,अब मयखानो में वो बात कहाँ,
डुबा रहू मुद्दतो तक,होश में न रहू यही ख्वाईश है खुदा।

दुआए तो शिद्दतो से मांगी है हम ने,
मुक्कमल न भी हो तौभी क्या गिला।

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14 JUL 2022 AT 12:16

Won't share with other if it's mine......

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14 JUL 2022 AT 11:06

किसी आजिज ने पुछा,
तुम शायर ऐसा क्या लिखते हो,
जो दुनियाँ दीवानी हैं तुम्हारी?
हम ने भी बड़े लहजे में जवाब दे दिया,
हम जिंदगी को मौत से गुज़रकर लिखते हैं।
हम मोहोब्ब़त को टुटकर बिखरकर लिखते है,
हम हर दर्द का मर्म सोचकर लिखते हैं।
कलम की शाही से कम पस लब्जो़ में
डुबकर लिखते हैं,हम शायर है जनाब,
जिंदगी को जिंदगी में गूंथकर लिखते है।

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