Abid Qureshi   (Abid_Infinity)
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Joined 6 December 2017


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31 JAN 2022 AT 7:36

यहीं वो पॉइंट होता है जहाँ से एक मनुष्य देवता होने की अपनी सभी संभावनाओं को नष्ट करता हुआ, उसी तरफ़ लौटने लगता है जहाँ से आया था, पशुता की तरफ ,
जब कोई ख़ुद से जिहाद करता है लड़ता है अपनी नाजायज़ ख्वाहिशात/इच्छाओं से तो उसमें कुछ फूटता है,कुछ अजीब सा जो उसे ऊपर की तरफ़ लेके जाता है,, ✍️ABID— % &

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24 JAN 2022 AT 11:42

दिल कभी अल्लाह में लगा ही नहीं
इसीलिए कहीँ और भी लगा ही नहीं
ज़रूर हाँ ज़रूर पैदा हुआ इंसाँ जैसा
दिल मगर इन्सान का बना ही नहीं
ना ईमान समझ आया न मज़हबी उसूल
मंदबुद्धि ही रहा वो बड़ा हुआ ही नहीं
अगरबत्ती जलाई तो नौकरी मिली
सुकून मगर उसको मिला ही नही
वो खुदा ही था या कुछ और ही था
किसे पूज रहा था वो कुछ पता ही नहीं

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19 JAN 2022 AT 11:02

जब कभी स्कूल कॉलेज के जमाने मे किसी लड़की के प्रति आकर्षण हो और उसकी तरफ से भी ऐसा लगने लगे तो एक दफ़ा कुंडली ज़रूर मिलाना,
कुंडली मिल जाये तो फिर धर्म जाति वगैरह भी मिला ही लेना अगर सबकुछ मैच हो जाये और मामला एकदम जम ही जाए तो याद रखना उस विवाह में घंटा कुछ नहीं रखा,,
लेकिन करना ज़रूर प्रकृति ने मिलाया है तुम्हें, तुमसे वो अपना काम लेगी, बच्चे पैदा करवाने का ,सँसार की निरंतरता बनाये रखने का,,
कुदरत ने ज़मीन पे दो तरह के लोग भेजे हैं एक वो जिन्हें वो इस्तेमाल कर सके दूसरे वो जो प्रकृति को जी भर के जी सके समझ सके परमात्मा को महसूस कर सके और उस यूनिवर्स के साथ एक हो सके

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18 JAN 2022 AT 19:51

मेरे-तेरे , माने की छड़ दे , की फरक है पेंदा
लिक्खण वाला दूर कहीँ सब छुप्पे लिखता रहन्दा

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7 JAN 2022 AT 10:16

बदलाव कोई आए जो रूहानी तो नया साल है
दोहराओ घिसी पिटी सी कहानी तो ख़ाक नया साल है

तुम चिड़चिड़े से, फ्रस्ट्रेट , वही के वही तो हो
जीत जीत के सब हारे तुम्हारे तो बुरे हाल है
क्या ख़ाक तुम्हारे लिए ये कोई नया साल है

न अपने सुख से सुखी ना किसी के ग़म के साथी
तुम्हारी हड्डियाँ,तुम्हारी सोच, वही पुरानी खाल है
क्या ख़ाक तुम्हारे लिए ये कोई नया साल है

मुझे गिराना है तो मुझसे ऊपर निकलो
जिसमे उलझे हो तुम, तुम्हारा ही मकडज़ाल है
क्या ख़ाक तुम्हारे लिए ये कोई नया साल है,

रूहानी* = रूह में , in soul ,आत्मगत बदलाव,

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5 JAN 2022 AT 21:07

बुरा वक़्त , रिश्तों की इमारत के लिए नींव खोदता है
जब लोग इस नींव में एक दूसरे का साथ,भरोसा और धैर्य भरते हैं तो एक मजबूत खूबसूरत महल खड़ा होता है,
कुछ लोग इस नींव को एक दूसरे से भागना,चिंता,तनाव,अहसान दिखाना,करना और चिड़चिड़ाना etc से भरते हैं,,
ये जीते जी नरक
निर्मित करते हैं

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2 JAN 2022 AT 14:51

कोई रूहानी बदलाव आए तो नया साल है
वही कहानी पुरानी जो दोहराए तो ख़ाक साल है

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22 DEC 2021 AT 9:42

मिलती हुई लगती है दुनिया मिलती कभी नहीं
जेब फटी ही रहती है सबकी सिलती कभी नहीं

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17 DEC 2021 AT 11:54

तुम बादशाह हो तब तक जब तक कि
हमने दाँव अपना खेला नहीं

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29 NOV 2021 AT 14:10


हाल-ए-दिल सुनाने से बोझ बढ़ता है मेरा
हल्का वो होता होगा जिसका बोझ हल्का हो

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