बदलाव कोई आए जो रूहानी तो नया साल है
दोहराओ घिसी पिटी सी कहानी तो ख़ाक नया साल है
तुम चिड़चिड़े से, फ्रस्ट्रेट , वही के वही तो हो
जीत जीत के सब हारे तुम्हारे तो बुरे हाल है
क्या ख़ाक तुम्हारे लिए ये कोई नया साल है
न अपने सुख से सुखी ना किसी के ग़म के साथी
तुम्हारी हड्डियाँ,तुम्हारी सोच, वही पुरानी खाल है
क्या ख़ाक तुम्हारे लिए ये कोई नया साल है
मुझे गिराना है तो मुझसे ऊपर निकलो
जिसमे उलझे हो तुम, तुम्हारा ही मकडज़ाल है
क्या ख़ाक तुम्हारे लिए ये कोई नया साल है,
रूहानी* = रूह में , in soul ,आत्मगत बदलाव,
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