Abhyuday Sharma   (अभ्युदय शर्मा 'अब्र')
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ना सम्मान का मोह
ना अपमान का भय
Joined 24 August 2019


ना सम्मान का मोह
ना अपमान का भय
Joined 24 August 2019
1 SEP 2024 AT 14:24

तू ये समझती है तुझसे रूठा हुआ हूं मैं
तेरी खुशी के लिए तुझसे दूर हुआ हूं मैं

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18 AUG 2024 AT 11:23

मैं तू ही हो गया हूं तुझसे मिलने के बाद
कोई मुझे देखता नहीं तुझे देखने के बाद

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18 AUG 2024 AT 9:14

ताल्लुक़ ख़त्म है तो किस्सा भी ख़त्म करो
मिलती हो तो मुस्कुराकर क्यों देखती हो

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16 AUG 2024 AT 15:20

मोहब्बत को जरूरी काम लिख दूं क्या
कोई पूछे तो तेरा नाम लिख दूं क्या ?

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28 APR 2024 AT 19:25

बहुत खुश ना हुआ कीजिए जो लोग कहें
तुमसे प्यार और तुम्हारी परवाह करते हैं
असल सवाल ये कीजिए "कब तक ?"
लोग बदलते हैं यहां मौसम की तरह

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10 FEB 2022 AT 18:48

मैंने कहा ए वक्त
तू मेरे ज़ख़्म भर देना
वक्त ने कहा हँसकर
ज़ख़्म भले मैं भर दूँ
पर निशान रह जाएँगे— % &

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7 FEB 2022 AT 21:20

ख़ुद में ही सिमटा हुआ सा मैं
अथाह अनन्त शून्य मेरा हृदय
जिसमें आती रही अनगिनत
स्वार्थ साधिनी बादलियाँ
अवलम्ब लेकर मेरा जो
साधती रहीं स्वत्व
तब हुआ एक दिन आगमन तुम्हारा
सहस्र चंचल चपल दामिनियों सा
सन्निपात किया हृदय को चीरता
कि हाहाकार मचा बादलियों में
और हृदय मेरा रिक्त हो सका
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7 FEB 2022 AT 21:16

ख़ुद में ही सिमटा हुआ सा मैं
अथाह अनन्त शून्य मेरा हृदय
जिसमें आती रही अनगिनत
स्वार्थ साधिनी बादलियाँ
अवलम्ब लेकर मेरा जो
साधती रहीं स्वत्व
तब हुआ एक दिन आगमन तुम्हारा
सहस्र चंचल चपल दामिनियों सा
सन्निपात किया हृदय को चीरता
कि हाहाकार मचा बादलियों में
और हृदय मेरा रिक्त हो सका



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29 JAN 2022 AT 15:43

तू है किसी और की हम भी होंगे किसी और के
जोर कोई चलता ना आगे क़िस्मत के जोर के
तेरी दहलीज़ से ठुकराये गए हम तो जाएं कहाँ
टूटे हुए आशिक़ नहीं रहते फ़िर किसी ठौर के
याद आ गये वो पल अपनी मुहब्बत के दौर के
मोती से झर झर बहने लगे आँखों की कौर से





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28 JAN 2022 AT 23:05

चुरा लूँगा दिल तुम्हारा, तुम्हें बेकरार कर दूँगा
जो नफ़रत है तेरी आँखों में उसे प्यार कर दूँगा
इश्क़ मुकम्मल हो ना हो मेरा ना सही
नए आशिक़ों को तो होशियार कर दूँगा
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