मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा...
मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा...
दस्त-ए-में या ना, चमन मेरा
मय के हर चंद, एक ख्व़ा ना नशीं
अंजुमन-अंजुमन सुखन मेरा...
दस्त-ए-में या ना, चमन मेरा
मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा...
बर्ग-ए-गुल पर, चराग सा क्या है...?
छू गया था उसे, दहन मेरा...
दस्त-ए-में या ना, चमन मेरा
मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा...
मय के टूटा हुआ सितारा हूँ...
क्या बिगाड़ेगी, अंजुमन मेरा...
दस्त-ए-में या ना, चमन मेरा
मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा...
हर घड़ी एक नया तकाज़ा है...
दर्द-ए-सर बन गया, बदन मेरा
दस्त-ए-में या ना, चमन मेरा
मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा...
- (abhay_2512😎)
19 FEB 2019 AT 11:31