जिनकी गति और मति अर्जुन जैसी है, उनका रथ आज भी कृष्ण ही चलाते है। धर्म चाहे जो भी हो अच्छे इंसान बनो, हिसाब हमारे कर्म का होगा धर्म का नही।।
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समय दुविधा हर जाएगा,
सीख बहुत कुछ दे जाएगा,
सूझबूझ से हैं लड़ना,
और नियम से हैं चलना,
देश मेरा फिर आबाद होगा,
संकट को तो टलना होगा,
क्योंकि ये वक़्त भी गुज़र जाएगा,
सुनहरा कल फिर आएगा...!!!-
बांट दिया इस धरती को , क्या चांद सितारों का होगा ....
नदियों के कुछ नाम रखे ..
बहती धारो का क्या होगा ..
शिव की गंगा भी पानी है ,
आबे जम जम भी पानी है ,
मुल्ला भी पिये , पंडित भी पिये , पानी का मज़हब क्या होगा ..?
इन फिरकापरस्तों से पूछो क्या सूरज अलग बनाओगे ..एक हवा में सांस है सबकी क्या हवा भी अलग बनाओगे
नस्लो का जो करे जो बटवारा रहवर वो कॉम का ढोंगी है .. क्या खुदा ने मंदिर तोड़ा था या राम ने मस्ज़िद तोड़ी है ...
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लम्हे-लम्हे की सियासत पे नज़र रखते हैं .......
लम्हे-लम्हे की सियासत पे नज़र रखते हैं
हमसे दीवाने भी दुनिया की ख़बर रखते हैं
इतने नादां भी नहीं हम कि भटक कर रह जाएँ
कोई मंज़िल न सही, राहगुज़र रखते हैं
मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वो है,
हम जो जिन्दा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं!
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लम्हे-लम्हे की सियासत पे नज़र रखते हैं
हमसे दीवाने भी दुनिया की ख़बर रखते हैं
इतने नादां भी नहीं हम कि भटक कर रह जाएँ
कोई मंज़िल न सही, राहगुज़र रखते हैं
मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वो है,
हम जो जिन्दा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं!
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कब तक द्वन्द संभाला जाए,
युद्ध कहाँ तक टाला जाए ।
वंशज है महाराणा का तू..
चल फेंक जहाँ तक भाला जाए ।
दोनों तरफ लिखा हो भारत..
सिक्का वहीं उछाला जाएं।-
मेरे ग़मो में मेरा हिस्सेदार नहीं लगती,
ये लड़की मेरी कहानी का किरदार नहीं लगती।
उसकी दिल की करूं तो हुकूमत बताती है,
यार ये लड़की मुझे समझदार नहीं लगती।-
लगा के आग शहर को,
ये बादशाह ने ये कहा,
उठा है आज दिल में तमाशे का शौक बहुत
झुका के सर सभी शाहपरस्त बोल उठे
हुज़ूर का शौक सलामत रहे
शहर और बहुत है
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अगर वो मुझसे खुश नहीं है तो मुझे जुदा करे यह मैने कब कहा कि मेरे हक मैं फैसला करे
मैं उसके साथ जिस तरह से गुजारता हूं ज़िन्दगी
उसे तो चाहिए मेरा शुक्रिया अदा करे.-
किसी को घर से निकलते ही मिल गई,
मंज़िल.. कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा।-