पूरी बात Caption में......
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आवतड़ा देखो थे म्हारा जगमग नैण
जावतड़ा देखोला बरसे टप टप नैण
टप टप अनसुड़ा करे है मनवार
सायब जी थां सु रेवे मन आंगनिये बहार....-
शून्य से है शून्यता
पर पूर्णता भी शून्य से
बात कर भारी भारी
चूक जाते मूल्य से
मूल्य कर के दोगुना
बात का वजन घटा
शब्द भारी न सही
सोच को भारी बना-
भई ये कौनसा दौर है तेरा उम्र ये बता
न इश्क रास आए
न मौसम कोई भाए
न दिल धड़के किसी दीदार से
न कोई नज़र जिगर को छू पाए
सुना था दिल तो बच्चा ही रहता है
उम्र चाहे कोई भी हो
मतलब ये उम्र का नहीं पड़ाव
चाहे बात दूजी कोई भी हो-
क्या कभी तेरे खयालों में होती है कोई आहट मुझ सी
तेरी वाली गलियों से कई दफा दबे पांव गुजरती हूं ...-
ये चाहिए वो चाहिए पर सब कुछ नहीं चाहिए
बस मुझे मेरी जिंदगी में रिश्तेदार नहीं चाहिए
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कई दिनों से कुछ लिखा नहीं
कई दिनों से खुद से मिला नहीं
मिल कर बाहर से ,अंदर को खोया
पर मुझे कुछ किसी से गिला नहीं-