वतनपरस्ती को ही मैं,पूजा,भक्ति, अजान लिखूंगा...
मैं तो अपनी पहचान में बस हिन्दुस्तान लिखूंगा....
हिफाजत में सरजमीं की, उठाऊंगा मैं शमशीरें भी.....
आएगी कलम हाँथ जो,बस अमन-ओ-अमान लिखूंगा....
ढूँढेगी जिस दिन दुनिया, सलीका भाईचारे का...
उसदिन मैं गंगा जामुनी तहजीब का ये बयान लिखूंगा..
झुकाऊंगा ये सर हर मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर में...
आखिर में माटी को ही गीता, बाइबल,कुरान लिखूँगा...
बेशक होंगी इस जहाँ में जगहें खूबसूरत और भी...
पर मैं तो जन्नत का पता बस ये हिन्दुस्तान लिखूंगा...-
And don't forget to live the current moment
अजब ये दोगलापन है मुझमें मेरी ही खातिर....
जीना भी चाहता हूँ और मौत की दुआ भी मांगता हूँ....-
शायद बदसूरत नहीं था मैं इतना भी....
बस देखने वालों ने जताया था उम्रभर....-
कहाँ मनाता है शोक कोई
मरने वाले के लिए
शोक तो मनाया जाता है
दिखाने के लिए
उन सबको जो जिंदा हैं-
जागते जागते गुजर जाती हैं बड़े शहरों की रातें...
अधूरे ख्वाबों से रोज नजरें मिलाना आसान नहीं होता....-
मेरे साथ ये जिंदगानी बिताने के ख्वाब बुनती कोई....
मेरे साथ बैठकर बस मेरी खामोशी को सुनती कोई...
दिलाती यकीन के , हूँ मैं भी प्यार करने के क़ाबिल....
ख्वाइश थी के मुझे,बस मैं होने के लिए चुनती कोई...-
मत आना मेरी तरफ गर देखो मेरा दिल टूटते हुए....
साफ था वो हमेशा कांच सा,कहीं चुभ न जाए तुम्हें....-
जबसे जुबां नज़्म,आंखें आपकी शराब हुई होंगी...
जानें कितनों की नींदें उस रोज से खराब हुई होंगी...
अंदाजा लगाएं भी तो,क्या लगाएं उसकी शामों का..
जिसकी सियाह जिंदगी का आप चराग हुई होंगी....-
ये सोच के कर दिया रुखसत मेहमानों को आज फिर...
परेशान होगी तन्हाई,मुझे गैरों से बातों में मशगूल देखकर...-