गुनाह न करके भी अपराध बोध हो रहा है।
समाज के तिल्लिस्म मे अक्स पिस रहा है।-
अभिषेक शुक्ला विद्रोही
(Abhishek shukla 'Abhi')
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Joined 21 May 2018
12 OCT 2022 AT 20:06
12 OCT 2022 AT 19:59
जब सारे हकीमों ने इनकार कर दिया।
तब हमने भी मौत से प्यार कर लिया।।-
14 APR 2021 AT 10:00
दुनिया प्रयासों की नही अपितु सफल परिणामों की कद्र करती है।
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22 MAR 2021 AT 0:30
लिख दूँ हकीकत तो सारे अर्थ और आयाम बदल जायेगे,
गूढ़ शब्दों की अविरलता मे भी सारे षड्यन्त्र खुल जायेगे।
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16 MAR 2021 AT 16:05
कामचोर होने की पहली शर्त है कि व्यक्ति अव्वल दर्जे का बेशर्म होना चाहिये।
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2 MAR 2021 AT 7:17
आ गया कोई पढ़ाकू तो किताबें बेच लेता हूँ।
वरना इनके शब्दों मे खुद को समेट लेता हूँ।-
21 FEB 2021 AT 21:20
जुनून है जीत का तो मंजिल भी मिल ही जायेगी।
आज नही तो कल कोशिश भी अपना रंग लायेगी।-
18 JAN 2021 AT 22:07
तुमने दिल तोड़ा है,हम फिर भी वफ़ा करेंगे।
ए-बेवफ़ा तुझको, हम हर पल याद करेंगे।।-
17 DEC 2020 AT 18:53
मैं चलता हुआ वक्त हूँ...समंदर की लहर नही जो लौटकर फिर साहिल पर आऊँगा।
फैसला आपका है...कदर करो या यूं ही जाने दो मुझे पर मैं फिर से मौका न दे पाऊँगा।
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