इक घर छूट रहा था
इक मकान के बुलाने पर-
अभिषेक
(Abhibeardo)
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#बंगलुरु🏢_ बिहार 🏡
🎂~ 1st November
#सॉफ्टवेयर इंजीनियर पर लिखता हूँ कोर से
#बड़े शब्द... read more
🎂~ 1st November
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Joined 19 December 2017
4 SEP 2022 AT 22:15
दिन में उजाले में
वो अछूत मानी जाती थी
और चांद के निकलते ही
जिस्म को चूमा जाता था
शायद बिस्तर नहीं मानते
जात पात को साहेब।
-
3 SEP 2022 AT 11:17
पुरूषों ने बनाए आभूषण
और प्रदान कर दिया स्त्रियों को
ताकि वो दिख सके और सुंदर
पर समाज ने बनाए उस पर कुछ नियम
ताकि वो बांध सकें स्त्रियों को
तभी अगर होती परीक्षा "कूटनीति शास्त्र" की
तो "समाज" को मिलती हमेशा उसमें डिस्टिंक्शन-