में भी तेरा ख़्याल आता है,
तू समझे न समझे, ये मोहब्बत सच्ची है,
हर साँस में तेरा ही नाम आता है।
छोड़ दे ये गिला कि मैं बेवफ़ा हूँ,
हर पल तेरे दिल में ये सवाल क्यों आता है ,
टूटकर बिखरा हुआ हूँ मैं ,
मुझे बेख़्याली में भी तेरा ही नाम आता है।-
Instagram :- @abhishreshthmishra
आपकी बातों को हमने गौर से सुना है,
कुछ सुंदर मोती को हमने चुना है,
आप का आप आप कहना,
आप से तुम पर चले जाना ,
अधरों का मुस्काना,
पलकें झुकाना,लटों को सुलझाना,
फिर आप पर लौट के आना
बातों बातों में कुछ पल यूं ही बिताना,
देरी का बहाना , और जल्दी चले जाना,
बातों को अधूरा ही छोड़ जाना ,
घर जाकर हमसे सवाल ,
कितना भूले कितना याद ,
क्या ही जवाब दे हम आपको
लेकिन आपकी बातों को हमने ...
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कोई अपना सा देखा था
रह गया वो बहुत दूर !
करीब जो मुझको अपनों सा लगता था !-
मोहब्बत में तो बस सादगी ही प्यारी
उलझे बालों की एक लट तुम्हारी !
आँखो पर चश्मा और
उसके पीछे तीखी नज़रें तुम्हारी,
करने को थी बहुत सी बातें प्यारी
पर उलझ कर रह गए
उलझे बालों की लट में तुम्हारी !-
मेरी हर बात बेअसर ,
कुछ नुख्स मेरे मिज़ाज में क्या ?
उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में ,
दाग़ ही मिलेंगे मुझ को दान में क्या ?
बोल चुके जो बोलना था ?
या आबले पड़ गए ज़ुबान में क्या !
नफ़रत सी हो गई है उससे !
कल शाम कुछ ख़ास थी क्या !
ये कमबख़्त चैन क्यों नहीं पड़ता !
एक ही शख़्स था इस जहान में क्या ?-
ज़ख़्म फिर से हरा कर दो ,
रूठी थी किस बात से ,
आज उसको बायाँ कर दो ,
सच कहा था तुमने ,
ना हो पायेंगे हम किसी के
चलो छोड़ो ये भी जाने दो ,
और बताओ कैसे है ?
तुम दो तुम्हारे दो !-
मैं और मेरी तन्हाई कभी-२ बाते किया करते है ,
मेरे ख़ाली कमरे में
तेरी यादों को सिरहाने रख के सोया करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
दीवारों पर तेरा ही नाम लिख कर मिटा दिया करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
तेरे बिना ज़िंदगी जी कर भी मरते रहते है
मेरे ख़ाली कमरे में
सिर्फ़ तेरी कमी को महसूस करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
अब हम अकेले पन को अपना बना लिया करते है-
मैं और मेरी तन्हाई कभी-२ बाते किया करते है ,
मेरे ख़ाली कमरे में
तेरी यादों को सिरहाने रख के सोया करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
दीवारों पर तेरा ही नाम लिख कर मिटा दिया करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
तेरे बिना ज़िंदगी जी कर भी मरते रहते है
मेरे ख़ाली कमरे में
सिर्फ़ तेरी कमी को महसूस करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
अब हम अकेले पन को अपना बना लिया करते है-
मैं और मेरी तन्हाई कभी-२ बाते किया करते है ,
मेरे ख़ाली कमरे में
तेरी यादों को सिरहाने रख के सोया करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
दीवारों पर तेरा ही नाम लिख कर मिटा दिया करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
तेरे बिना ज़िंदगी जी कर भी मरते रहते है
मेरे ख़ाली कमरे में
सिर्फ़ तेरी कमी को महसूस करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
अब हम अकेले पन को अपना बना लिया करते है-
मैं और मेरी तन्हाई कभी-२ बाते किया करते है ,
मेरे ख़ाली कमरे में
तेरी यादों को सिरहाने रख के सोया करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
दीवारों पर तेरा ही नाम लिख कर मिटा दिया करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
तेरे बिना ज़िंदगी जी कर भी मरते रहते है
मेरे ख़ाली कमरे में
सिर्फ़ तेरी कमी को महसूस करते है
मेरे ख़ाली कमरे में
अब हम अकेले पन को अपना बना लिया करते है-